Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana, Surendra Bothra, Purushottamsingh Sardar
Publisher: Padma Prakashan

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Page 439
________________ आठवाँ अध्ययन : मल्ली Oanso ( ३७१) A princess. He prepared a portion of the wall allotted to him and completed the portrait. __ सूत्र ९०. तए णं सा चित्तगरसेणी चित्तसभं हाव-भाव-विलास-विव्वोय-कलिएहिं, रूवेहिं चित्तेइ, चित्तित्ता जेणेव मल्लदिन्ने कुमारे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता जाव एयमाणत्तियं पच्चप्पिणंति। तए णं मल्लदिन्ने चित्तगरसेणिं सक्कारेइ, सम्माणेइ, सक्कारिता सम्माणित्ता विपुलं जीवियारिहं पीइदाणं दलेइ, दलइत्ता पडिविसज्जेइ। सूत्र ९०. जब चित्रकारों के दल ने चित्रसभा को मल्लदिन्न की आज्ञानुसार चित्रित कर दिया तो वे कुमार के पास गए और कार्य सम्पन्न होने की सूचना दी। कुमार ने उनका यथोचित सत्कार किया और यथेष्ट प्रीतिदान देकर विदा किया। ____90. When the group of artists completed the assignment given to them by Malladinna they approached the prince and reported accordingly. The prince honoured them and dismissed them after rewarding generously. सूत्र ९१. तए णं मल्लदिन्ने कुमारे अन्नया एहाए अंतेउरपरियालसंपरिवुडे अम्मधाईए सद्धिं जेणेव चित्तसभा तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता चित्तसभं अणुपविसइ। अणुपविसित्ता हाव-भाव-विलास-बिब्बोय-कलियाई रूवाई पासमाणे पासमाणे जेणेव मल्लीए विदेहवररायकनाए तयाणुरूवे रूवे निव्वत्तिए तेणेव पहारेत्थ गमणाए। ___ तए णं से मल्लदिन्ने कुमारे मल्लीए विदेहवररायकन्नाए तयाणुरूवं रूवं निव्वत्तियं पासइ, पासित्त इमेयारूवे अज्झथिए जाव समुप्पज्जित्था-"एस णं मल्ली विदेहवररायकन्न' त्ति कटु लज्जिए वीडिए विअडे सणियं सणियं पच्चोसक्काइ। सूत्र ९१. फिर एक दिन स्नानादि से निवृत्त हो अपने रनिवास आदि तथा धायमाता को साथ ले मल्लदिन्न कुमार उस चित्रसभा में आया। विविध हाव-भावयुक्त उन चित्रों को देखता-देखता वह उस ओर बढ़ा जहाँ मल्लीकुमारी का चित्र बना हुआ था। वहाँ पहुँचकर उसने जैसे ही राजकुमारी का चित्र देखा, वह चौंक पड़ा-“अरे यह तो मल्लीकुमारी है।" लाज-शर्म से सकुचाकर वह धीरे-धीरे वहाँ से पीछे हटने लगा। 91. One day getting ready after his bath etc. Malladinna came to the gallery accompanied by his queens, staff and his governess. Appreciating the paintings with various moods (etc.) he drifted towards the portrait of Princess Malli. The moment his gaze fell upon Jams Prose CHAPTER-8 : MALLI (371) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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