Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana, Surendra Bothra, Purushottamsingh Sardar
Publisher: Padma Prakashan

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Page 369
________________ सातवा अध्ययन :रोहिणी ज्ञात (३०७) and MahbuangaPORTAartimeHANDWARANIWARRIAuNou तए णं रायगिहे नयरे सिंघाडग जाव बहुजणो अन्नमन्नं एवमाइक्खइ-“धन्ने णं देवाणुप्पिया ! धण्णे सत्थवाहे, जस्स णं रोहिणिया सुण्हा, जीए णं पंच सालिअक्खए सगडसागडिए णं निज्जाइए। सूत्र २४. धन्य सार्थवाह ने बहुत से गाड़े-गाड़ियों का प्रबन्ध कर दिया। रोहिणी उन्हें लेकर अपने पीहर गई और वहाँ भण्डार में जा पल्यों को खोलकर सारा धान गाड़ियों में भर लिया और नगर के बीच से होती हुई वापस अपने घर आई। नगर के मार्गों पर लोग चर्चा करने लगे-“धन्य है धन्य सार्थवाह जिसकी पुत्र-वधू रोहिणी ने पाँच चावलों के दानों को गाड़ियों में भरकर लौटाया है।" 24. Dhanya Merchant arranged for the required carts and trucks. Rohini took them to her parents' house and loaded them with rice stored in godowns. She returned with these cart loads of rice passing through the town. The people on the streets commented. “Blessed is Rohini, the daughter-in-law of Dhanya Merchant, who is returning cart loads of rice for just five grains.” सूत्र २५. तए णं से धण्णे सत्थवाहे ते पंच सालिअक्खए सगडसागडेणं निज्जाइए पासइ, पासित्ता हट्ठतुढे पडिच्छइ। पडिच्छित्ता तस्सेव मित्त-नाइ-नियग-सयण-संबंधिपरियणस्स चउण्ह य सुण्हाणं कुलघरवग्गस्स पुरओ रोहिणीयं सुण्हं तस्स कुलघरवग्गस्स बहुसु कज्जेसु य जाव रहस्सेसु य अपुच्छणिज्जं जाव वड्डावियं पमाणभूयं ठावेइ। _सूत्र २५. धन्य सार्थवाह ने प्रसन्न और संतुष्ट हो वह धान स्वीकार किया और अतिथियों के सामने रोहिणी को घर-परिवार के सभी महत-गौण कार्यों की प्रभारी, रहस्यों व समस्याओं में सलाह देने वाली और सभी बातों का अंतिम निर्णय लेने वाली मुखिया के रूप में नियुक्त किया। 25. Dhanya Merchant was pleased and contented to accept the large quantity of grains. In presence of the guests he appointed Rohini as the head of the family and in-charge of all normal and important activities of the household, advisor in all confidential matters and problems, and final authority for taking all important decisions. सूत्र २६. एवामेव समणाउसो ! जाव पंच महव्वया संवड्डिया भवंति, से णं इह भवे चेव बहूणं समणाणं जाव वीईवइस्सइ जहा व सा रोहिणीया। ANDIma DATA //CHAPTER-T: ROHINI INATA 13070 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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