Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana, Surendra Bothra, Purushottamsingh Sardar
Publisher: Padma Prakashan

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Page 389
________________ OO आठवाँ अध्ययन : मल्ली this practice in ascending order up to the twelfth Bhikshu Pratima (as detailed in the first chapter). सूत्र १५. तए णं ते महब्बलपामोक्खा सत्त अणगारा खुड्डागं सीहनिक्कीलियं तवोकम्मं उवसंपज्जित्ता णं विहरंति, तं जहा ( ३२५ ) चउत्थं करेंति, करित्ता सव्वकामगुणियं पारेंति, पारित्ता छट्ठ करेंति, करित्ता चउत्थं करेंति, करिता अट्टमं करेंति, करिता छट्ठ करेंति, करित्ता दसमं करेंति, करिता अट्टमं करेंति, करित्ता दुवालसमं करेंति, करित्ता दसमं करेंति, करित्ता चाउद्दसमं करेंति, करित्ता दुवालसमं करेंति, करित्ता सोलसमं करेंति, करित्ता चोहसमं करेंति, करित्ता अट्ठारसमं करेंति, करिता सोलसमं करेंति, करित्ता वीसइमं करेंति, करित्ता अट्ठारसमं करेंति, करिता वीसइमं करेंति, करित्ता सोलसमं करेंति, करिता अट्ठारसमं, करेंति, करित्ता चोद्दसमं करेंति, करित्ता सोलसमं करेंति, करित्ता दुवालसमं करेंति, करित्ता चाउद्दसमं करेंति, करिता दसमं करेंति, करित्ता दुवालसमं करेंति, करित्ता अट्ठमं करेंति, करित्ता दसमं करेंति, करिता छट्ठ करेंति, करिता अट्ठमं करेंति, करित्ता चउत्थं करेंति, करिता छट्ट करेंति, करित्ता चउत्थं करेंति । सव्वत्थ सव्वकामगुणिएणं पारेंति । सूत्र १५. उपर्युक्त तपस्याओं के बाद सातों अनगारों ने एक और कठिन तप जिसे क्षुल्लक सिंह- निष्क्रीड़ित तप कहते हैं, किया। उसकी आराधना विधि इस प्रकार है प्रथम एक उपवास करके विगय सहित पारणा किया जाता है। उसके बाद दो उपवास और पारणा, फिर एक उपवास और पारणा, तब तीन उपवास और पारणा, दो उपवास और पारणा, चार उपवास और पारणा, यह क्रम ९ उपवास तक बढ़ता रहता है और उसी क्रम से घटकर एक उपवास पर आता है। पूरा क्रम इस प्रकार है - १ उ. पा., २ उ. पा., १ उ. पा., ३ उ. पा., २ उ. पा., ४ उ. पा., ३ उ. पा., ५ उ. पा., ४ उ. पा., ६ उ. पा., ५ उ. पा., ७ उ. पा., ६ उ. पा., ८ उ. पा., ७ उ. पा., ९ उ. पा., ८ उ. पा., ९ उ. पा., ७ उ. पा., ८ उ. पा., ६ उ. पा., ७ उ. पा., ५ उ. पा., ६ उ. पा., ४ उ. पा., ५ उ. पा., ३ उ. पा., ४ उ. पा., २ उ. पा., ३ उ. पा., १ उ. पा., २ उ. पा, १ उ. पा. । उ. = उपवास, पा. = पारणा । 15. After these practices all the seven ascetics observed a much harsher penance known as minor Simha-Nishkreedit. The details of this penance are as follows Jain Education International It is started with a fast for one day and eating unrestricted but pure food the next day. After this a two day fast is observed and it CHAPTER-8: MALLI For Private Personal Use Only (325) www.jainelibrary.org

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