Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana, Surendra Bothra, Purushottamsingh Sardar
Publisher: Padma Prakashan

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Page 399
________________ आठवाँ अध्ययन : मल्ली ( ३३५) सूत्र २८. तए णं सा मल्ली विदेहवररायकन्ना उम्मुक्कबालभावा जाव रूवेण य जोव्वणेण य लावण्णेण य अईव अईव उक्किट्ठा उक्किट्ठसरीरा जाया यावि होत्था। सूत्र २८. विदेहराज की वह दिव्य पुत्री समय के साथ बढ़ने लगी और बाल्यावस्था पार कर रूप, यौवन और लावण्य से परिपूर्ण उत्कृष्ट देहवाली हो गई। 28. With passage of time this divine daughter of the king of Videh crossed her childhood and grew to be a beautiful, charming, and perfectly proportioned young woman. ___ सूत्र २९. तए णं सा मल्ली विदेहवररायकन्ना देसूणवाससयजाया ते छप्पिय रायाणो विपुलेण ओहिणा आभोएमाणी आभोएमाणी विहरइ, तं जहा-पडिबुद्धिं जाव जियसत्त पंचालाहिवइं। सूत्र २९. मल्लीकुमारी जब सौ वर्ष से कुछ कम आयु की हुई तब अपने पूर्व भव के मित्रों के विषय में अपने अवधिज्ञान से जानने लगी जो यहां पर प्रतिबुद्धि, जितशत्रु आदि बने हैं। 29. When Princess Malli was a little less then one hundred years old she became aware of the present state of her friends from the earlier birth through her Avadhi Jnana (extra-sensory perception of the physical dimension). मोहनगृह का निर्माण सूत्र ३0. तए णं सा मल्ली विदेहवररायकन्ना कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ सदावित्ता एवं वयासी-“गच्छह णं देवाणुप्पिया ! असोगवणियाए एगं महं मोहणघरं करेह अणेयखंभसयसन्निविटुं। तत्थ णं मोहणघरस्स बहुमज्झदेसभाए छ गब्भघरए करेह। तेसिं णं गब्भघराणं बहुमज्झदेसभाए जालघरयं करेह। तस्स णं जालघरयस्स बहुमज्झदेसभाए मणिपेढियं करेह।" ते वि तहेव जाव पच्चप्पिणंति। सूत्र ३0. एक दिन मल्लीकुमारी ने सेवकों को बुलाकर कहा-“देवानुप्रियो ! जाओ और अशोक वाटिका में एक विशाल मोहनघर (मायामहल) बनाओ जिसमें अनेक स्तम्भ हों। उस सभागृह के बीचोंबीच छह कमरों से घिरा एक जालीदार कमरा बनाओ। इस जालीदार कमरे के बीचोंबीच एक मणियों से जड़ी चौकी बनाओ।" सेवकों ने यह सब काम पूरा कर वापस आ उन्हें सूचना दी। CONSTRUCTION OF THE HOUSE OF ILLUSION 30. One day Princess Malli called her staff and said, “Beloved of gods! Go to the Ashok garden and arrange to construct a large house of Songs CHAPTER-8 : MALLI (335) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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