Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana, Surendra Bothra, Purushottamsingh Sardar
Publisher: Padma Prakashan

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Page 386
________________ ( ३२२) Jango ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र ORM 9. King Mahabal was pleased when his friends did as he had told and returned. With grand ceremonies he crowned his son, prince Balbhadra. ___ सूत्र १0. तए णं से महब्बले राया बलभदं कुमारं आपुच्छइ। तओ णं महब्बलपामोक्खा छप्पिय बालवयंसए सद्धिं जाव पव्वयंति, एक्कारस अंगाइं अहिज्जित्ता बहूहिं चउत्थछट्ठट्टमेहिं अप्पाणं भावेमाणा जाव विहरंति। __सूत्र १0. महाबल ने तब राजा बलभद्र से आज्ञा ले अपने छहों बाल मित्रों सहित समारोहपूर्वक दीक्षा ग्रहण की, ग्यारह अंग शास्त्रों का अध्ययन किया और विभिन्न प्रकार की तपस्याएँ करते हुए विचरने लगे। 10. Mahabal then sought permission from king Balbhadra and with prescribed procedure and ceremonies got initiated along with his six childhood friends. These new ascetics now studied all the eleven canons and commenced their itinerant life doing penance and other spiritual practices. सूत्र ११. तए णं तेसिं महब्बलपामोक्खाणं सत्तण्हं अणगाराणं अन्नया कयाइ एगयओ सहियाणं इमेयारूवे मिहो कहासमुल्लावे समुप्पज्जित्था-"जं णं अम्हं देवाणुप्पिया ! एगे तवोकम्म उवसंपज्जित्ता णं विहरइ, तं णं अम्हेहिं सव्वेहिं सद्धिं तवोकम्म उवसंपज्जिता णं विहरित्तए" त्ति कटु अण्णमण्णस्स एयमझैं पडिसुणेति, पडिसुणेत्ता बहूहिं चउत्थ जाव विहरंति। ___ सूत्र ११. एक दिन महाबल व उनके मित्र-सातों अनगार परस्पर विचार करने लगे"हम लोगों में से एक जिस तप का पालन करे वही तप सबको पालना चाहिये।" सबने यह बात स्वीकार कर ली और सभी एक साथ उपावस, बेला यावत मासखमण आदि तपस्याएँ करते हुए साधनामय जीवन बिताने लगे। ____11. One day Mahabal and his friends had consultations, "Whatever penance or practice anyone of us starts all the others should follow the same.” They all accepted this idea and started a series of penances one after another, including fasts for a day or more, stretching even to a month. महाबल का मायाचार सूत्र १२. तए णं से महब्बले अणगारे इमेण कारणेणं इत्थिणामगोयं कम्म निव्वत्तिंसु-जइ णं ते महब्बलवज्जा छ अणगारा चउत्थं उपसंपज्जिता णं विहरंति, Samro ne MA कि Main TOBEle: (322) JNĀTĀ DHARMA KATHANGA SUTRA Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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