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छठा अध्ययन : तुम्बक
( २८५)
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रख दे। जब वह सूख जावे तो उस पर पुनः घास व मिट्टी लपेटकर फिर धूप में रख दे। इसी प्रकार घास और मिट्टी का लेप आठ बार उस तुम्बे पर चढ़ाये। इसके बाद उस तुम्बे को ले जाकर ऐसे जल में डाले जो पुरुष की ऊँचाई से भी बहुत गहरा हो और तैरने में कठिन हो। हे गौतम ! मिट्टी के आठ लेपों के भार से गुरु हुआ वह तुम्बा पानी में डूबकर तल में पहुँच जायेगा। __इसी प्रकार जीव भी हिंसा आदि अठारह पाप स्थानकों में लिप्त होने के कारण आठ कर्म-प्रकृतियों का बंध करता है। उन कर्म-प्रकृतियों के भार से गुरु होकर मृत्यु होने पर पृथ्वी (तिर्यक लोक) की सतह से गिरकर नरक (अधोलोक) की सतह पर पहुँच जाता है। गौतम ! जीव इस प्रकार गुरुता को प्राप्त होता है।
THE HEAVY STATE
4. "Gautam! Let someone take a large pot of hollowed gourd that is without a hole or a crack. Wrap coconut fibers and grass around it. Cover it with a paste of sticky mud and put it in sun. When it dries, again wrap fibers around it, cover it with mud and let it dry. This way cover it with these layers eight times. After this, take this gourd and throw it in a pond or lake that is much deeper than a man's height and difficult to swim across. Gautam! made heavy with the eight layers of mud, that gourd will sink and reach the bottom of the water body.
"Similarly a being (soul) is fused with eight types of Karmas as a result of his indulgence in eighteen types of sinful activities including violence. Due to the weight of these Karmas it reaches the heavy state and after death sinks below the surface of the earth and reaches the bottom level of the living universe, the hell. Gautam! This is how a being reaches the heavy state.
लघुता का कारण
सूत्र ५. अह णं गोयमा ! से तुंबे तंसि पढमिल्लुगंसि मट्टियालेवंसि तित्तंसि कुहियंसि पडिसडियंसि ईसिं धरणियलाओ उप्पइत्ता णं चिट्ठइ। तयाणंतरं च णं दोच्चं पि मट्टियालेवे जाव उप्पइत्ता णं चिट्ठइ। एवं खलु एए णं उवाए णं तेसु अट्ठसु मट्टियालेवेसु जाव विमुक्कबंधणे अहे धरिणियलमइवइत्ता उप्पिं सलिलतलपइटाणे भवइ।
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CHAPTER-6 : TUMBAK
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