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ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र
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चित्र परिचय THE ILLUSTRATIONS EXPLAINED
सहयोग की मजबूरी
चित्र : १०
बहुत खोजबीन के बाद विजय चोर पकड़ा गया। राजा की आज्ञानुसार पाँव में लकड़ी की बेड़ी (खोड़ा) लगाकर कारागार में बन्द कर दिया गया। कुछ समय बाद किसी राजकीय अपराध के दण्ड स्वरूप धन सेट को भी उसी कारागार में विजय चोर के साथ उसी बेड़ी में बन्द कर दिया गया। धन सेठ के लिए घर से भोजन आदि आता रहता। विजय चोर भी भूखा था, उसने खाना माँगा तो सेठ ने क्रोध में भरकर कहा-यह बचा हुआ भोजन कौओं, कुत्तों को डाल दूंगा, परन्तु तुझ पुत्र घातक को नहीं दूंगा। ___ भोजन के बाद सेठ को शौच जाने की शंका हुई। उसने विजय को साथ चलने के लिए कहा, परन्तु वह क्यों जाता? आखिर हारकर सेठ ने उसके साथ समझौता किया-मैं तुझे खाना दूंगा, तू शंका निवारण करने मेरे साथ चलते रहना। पुत्रघाती चोर को सेठ के खाने में से खाना खाते देखकर पंथक को बहुत बुरा लगता है।
(अध्ययन २)
FORCED TO COMPROMISE
ILLUSTRATION: 10
After a lot of search Vijaya was apprehended and imprisoned. Once, accused by some adversaries Dhanya was also apprehended and put in the same prison, shackled jointly with Vijaya thief. Bhadra sent food in the prison with Panthak. When Dhanya started eating, Vijaya asked for something to eat. Dhanya refused angrily. After some time Dhanya wanted to relieve himself. He requested Vijaya to accompany him to a secluded spot. Vijaya refused. Driven by the need of his body Dhanya was forced to submit to the demand of the thief. Vijaya now accompanied him to a secluded spot and Dhanya relieved himself. Next morning when Panthak served the food Dhanya merchant shared it with Vijaya. Panthak saw this and felt very bad.
(CHAPTER-2)
TAGESVEDO
JNĀTĀ DHARMA KATHĀNGA SÜTRA
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