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ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र
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share it with the killer of my son, an enemy, a rogue, and a despicable person like you."
सूत्र २८. तए णं धण्णे सत्थवाहे तं विउलं असण-पाण-खाइम-साइमं आहारे।। आहारित्ता तं पंथयं पडिविसज्जेइ। तए णं से पंथए दासचेडे तं भोयणपिडगं गिण्हइ, गिण्हित्ता जामेव दिसिं पाउब्भूए तामेव दिसिं पडिगए। __ सूत्र २८. धन्य सार्थवाह ने वह भोजन किया और पंथक को छबड़ी सहित वापस भेज दिया।
28. Dhanya merchant ate the food and sent the basket back with slave-boy Panthak.
सूत्र २९. तए णं तस्स धण्णस्स सत्थवाहस्स तं विपुलं असण-पाण-खाइम-साइमं आहारियस्स समाणस्स उच्चार-पासवणेणं उव्वाहित्था। ___ तए णं से धण्णे सत्थवाहे विजयं तक्करं एवं वयासी-एहि ताव विजया ! एगंतमवक्कमामो, जेण अहं उच्चारपासवणं परिवेमि।
तए णं से विजए तक्करे धण्णं सत्थवाहं एवं वयासी-“तुब्भं देवाणुप्पिया ! विपुलं असण-पाण-खाइम-साइमं आहारियस्स अत्थि उच्चारे वा पासवणे वा, मम ण देवाणुप्पिया ! इमेहिं बहूहिं कसप्पहारेहि य जाव लयापहारेहि य तण्हाए य छुहाए य परब्भवमाणस्स णत्थि केइ उच्चारे वा पासवणे वा, तं छंदेणं तुम देवाणुप्पिया ! एगंत अवक्कमित्ता उच्चारपासवणं परिट्टवेहि।"
सूत्र २९. पेट भर भोजन करने के बाद धन्य को मल-मूत्र त्यागने की शंका हुई तो उसने विजय से कहा-"विजय ! चलो एकान्त में चलें जिससे मैं मल-मूत्र त्याग कर सकूँ।"
विजय ने उत्तर दिया-“देवानुप्रिय ! तुमने तो पेट भर भोजन-पान किया है अतः तुम्हें मल-मूत्र की शंका हुई है। पर मैं तो बहुत से कोड़ों आदि की मार से तथा भूख-प्यास से पीड़ित हूँ। मुझे तो कोई ऐसी शंका नहीं हो रही। हे देवानुप्रिय ! तुम्हारी इच्छा हो तो तुम्ही
जाओ।"
29. Once his stomach was filled Dhanya merchant had the desire to relieve himself. He requested Vijaya, “Vijaya ! come, let us go to a secluded spot so that I may relieve myself of the nature's call." ___ Vijaya replied, “Beloved of gods ! You have eaten a stomach full of food and water and so you have this urge. But I am suffering the pain
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JNATA DHARMA KATHĂNGA SUTRA
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