Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana, Surendra Bothra, Purushottamsingh Sardar
Publisher: Padma Prakashan
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द्वितीय अध्ययन : संघाट
( १८९)
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SAIRAVA
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धन्य का छुटकारा
सूत्र ३४. तएं णं धण्णे सत्थवाहे अन्नया कयाइं मित्त-नाइ-नियग-सयण-संबंधिपरिजणेणं सएण य अत्थसारेणं रायकज्जाओ अप्पाणं मोयावेइ। मोयावित्ता चारगसालाओ पडिनिक्खमइ। पडिनिक्खमित्ता जेणेव अलंकारियसभा तेणेव उवागच्छइ। उवागच्छित्ता अलंकारियकम्मं करेइ। करित्ता जेणेव पुक्खरिणी तेणेव उवागच्छइ। उवागच्छित्ता अहधोयमट्टियं गेण्हइ। गेण्हित्ता पोक्खरिणिं ओगाहेइ। ओगाहित्ता जलमज्जणं करेइ। करित्ता पहाए कयबलिकम्मे जाव रायगिहं नगरं अणुपविसइ। अणुपविसित्ता रायगिहस्स नगरस्स मज्झमझेणं जेणेव सए गिहे तेणेव पहारेत्थ गमणाए। ___ सूत्र ३४. उधर धन्य सार्थवाह को उसके किसी स्वजन ने अर्थदण्ड चुकाकर मुक्त करा लिया। वह कारागार से निकलकर आलंकारिक सभा (सौन्दर्य प्रसाधन केन्द्र) में गया। वहाँ पहुँचकर बाल कटवाए तथा अन्य आलंकारिक सेवा करवाई। फिर वह नदी के किनारे गया और किनारे की मिट्टी लेकर नदी में उतरा। भली प्रकार शरीर को रगड़कर स्नानादि कर्मों से निवृत्त हो राजगृह नगर में प्रवेश किया और अपने निवास की ओर चला। DHANYA RELEASED
34. One of Dhanya merchant's friends paid the fine and got him released from the prison. From the prison Dhanya merchant immediately went to a beauty parlour. There he got a haircut and other such services performed. From there he went to the river bank and taking clean sand in his hands entered the river. He immaculately rubbed and washed his body clean. After putting on his dress he entered the town and proceeded towards his house.
सूत्र ३५. तए णं धण्णं सत्थवाहं एज्जमाणं पासित्ता रायगिहे नगरे बहवे नियग-सेट्ठि-सत्थवाह-पभइओ आढ़ति, परिजाणंति, सक्कारेंति, सम्माणेति, अब्भुटुंति, सरीरकुसलं पुच्छंति। ___ तए णं से धण्णे जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छइ। उवागच्छित्ता जावि य से तत्थ वाहिरिया परिसा भवइ, तं जहा-दासाइ, वा, पेस्साइ वा, भियगाइ वा, भाइल्लगाइ वा, से वि य णं धण्णं सत्थवाहं एज्जंतं पासइ, पासित्ता पायवडियाए खेमकुसलं पुच्छति। __जावि य से तत्थ अब्भंतरिया परिसा भवइ, तं जहा-मायाइ वा, पियाइ वा, भायाइ वा, भगिणीइ वा, सावि य णं धण्णं सत्थवाहं एज्जमाणं पासइ, पासित्ता आसणाओ अद्भुढेइ। अब्भुढेत्ता कंठाकंठियं अवयासिय बाहप्पमोक्खणं करेइ।
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CHAPTER-2 : SANGHAT
(189)
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