________________
(७८)
ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र
JAANA00
सूत्र ७५. तए णं से मेहे कुमारे उप्पिं पासायवरगए फुट्टमाणेहिं मुइंगमत्थएहि । वरतरुणिसंपउत्तेहिं बत्तीसइबद्धएहिं नाडएहिं उवगिज्जमाणे उवगिज्जमाणे उवलालिज्जमाणे उवलालिज्जमाणे सद्द-फरिस-रस-रूव-गंध-विउले माणुस्सए कामभोगे पच्चणुभवमाणे विहरति।
सूत्र ७५. अब मेघकुमार अपने मनोरम महल में नाटक-गान-क्रीड़ा आदि करता हुआ मनोज्ञ शब्द, स्पर्श, गंध और रूप का उपभोग करता, आनन्द लेता सुखमय जीवन व्यतीत करने लगा। ___75. Now, in his palace, Megh Kumar and his wives started enjoying all possible worldly pleasures, tender and lusty, through the faculties of hearing, touch, smell, and vision. भगवान महावीर का आगमन
सत्र ७६. तेणं कालेणं तेणं समए णं समणे भगवं महावीरे पुव्वाणुपुव्विं चरमाणे गामाणुगामं दूइज्जमाणे सुहंसुहेणं विहरमाणे जेणामेव रायगिहे नगरे गुणसिलए चेइए जाव विहरति। __तए णं से रायगिहे नगरे सिंघाडग-तिग-चउक्क-चच्चर-चउम्मुह-महापह-पहेसु महया बहुजणसद्देति वा जाव बहवे उग्गा भोगा जाव रायगिहस्स नगरस्स मज्झमज्झेणं एगदिसिं एगाभिमुहा निग्गच्छति। इमं च णं मेहे कुमारे उप्पिं पासायवरगए फुट्टमाणेहिं मुयंगमत्थएहिं जाव माणुस्सए कामभोगे भुंजमाणे रायमग्गं च आलोएमाणे एवं च णं विहरति।
सूत्र ७६. उस काल के उस भाग में श्रमण भगवान महावीर एक गाँव से दूसरे गाँव विहार करते हुए राजगृह नगर में पधारे और गुणशील चैत्य में यथोचित स्थान पर ठहरे। ___ उस समय राजगृह नगर के मार्गों आदि पर लोगों की भीड़ का शोर होने लगा। विभिन्न कुल और समूह के लोग नगर के बीच से निकल-निकल एक ही दिशा में जाने लगे। उस समय मेघकुमार अपने महल में मृदंगादि के मधुर संगीत में लीन आनन्द करते हुए राजमार्ग की हलचल देख रहे थे।
ARRIVAL OF BHAGAVAN MAHAVIR
76. During that period of time Shraman Bhagavan Mahavir, L
NE
(78)
JNĀTĀ DHARMA KATHANGA SŪTRA
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org