Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana, Surendra Bothra, Purushottamsingh Sardar
Publisher: Padma Prakashan

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Page 199
________________ द्वितीय अध्ययन : संघाट ( १६३ ) ore तस्स णं भग्गकूवस्स अदूरसामंते एत्थ णं महं एगे मालुयाकच्छए यावि होत्था, किण्हे किण्होभासे जाव रम्मे महामेहनिउरंबभूए बहूहिं रुक्खेहि य गुच्छेहि य गुम्मेहि य लयाहि य वल्लीहि य तणेहि य कुसेहि य खाणुएहि य संछन्ने पलिच्छन्ने अंतो झुसिरे बाहिं गंभीरे अणेग-वालसयसंकणिज्जे यावि होत्था। सूत्र ३. उस चैत्य के आसपास एक अन्य अति विशाल, जीर्ण टूटा-फूटा उद्यान था। उस उद्यान में रहा देवगृह कभी का खंडहर हो चुका था। उसके द्वार तथा तोरण व गृहादि ढह गये थे। उसमें अनेक झुरमुट, झाड़ियाँ, लताएँ, वल्लियाँ, वृक्ष आदि जहाँ-तहाँ उग आये थे और सैंकड़ों साँप आदि जीव रहने लगे थे। बड़ा भयानक था वह स्थान। उस उद्यान के बीचोंबीच एक टूटा-फूटा पुराना कुआँ भी था। उस कुएँ के पास एक स्थान पर मालुका (काली तुलसी) के पौधों का एक झुरमुट था जो काला रंग और कृष्ण आभा लिये था और महामेघों के समूह जैसा सुरम्य लगता था। वह झुरमुट बहुत से पेड़, झाड़ियों, पौधों, लताओं, घास और दूंठ आदि से भरा और सघन था। उसके भीतर खाली स्थान था पर बाहर से वह घना दिखाई देता था। उसके भीतर अनेक सादि हिंस्र जीवों के रहने से वह और भी भयावह और आशंकाजनक हो गया था। - DESOLATE GARDEN ____3. Near the temple there was a large, desolate and ruined garden. The temple in that garden was in ruins since long. The gates, arches, and rooms of that temple had collapsed. Bushes, shrubs, vines, creepers, and wild trees had grown here and there and hundreds of creatures like snakes had made it their abode. The place had an ominous look. There was an old and broken well at the centre of the garden. Near that well there was a thicket of black Tulsi plants. It had a beautiful black colour and hue and it looked as attractive as a cluster of black clouds. That thicket was dense and filled with numerous bushes, shrubs, vines, creepers, and wild trees as well as grass and stumps. Although it had open space in the middle, from outside it looked impenetrable. As numerous dangerous creatures like snakes lived within, it was fearsome and awe-inspiring. - Case PARO OM बाबा MANA CHAPTER-2 : SANGHAT (163) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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