________________
CON
( १७८)
ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र ।
AVALAM
उवागच्छित्ता देवदिन्नं दारगं सव्वालंकारविभूसियं पासइ। पासित्ता देवदिन्नस्स दारगस्स आभरणालंकारेसु मुच्छिए गढिए गिद्धे अज्झोववन्ने पंथयं दासचेडं पमत्तं पासइ। पासित्ता दिसालोयं करेइ। केरत्ता देवदिन्नं दारयं गेण्हइ। गेण्हित्ता कक्खंसि अल्लियावेइ। अल्लियावित्ता उत्तरिज्जेणं पिहेइ। पिहेत्ता सिग्धं तुरियं चवलं वेइयं रायगिहस्स नगरस्स अवदारेणं निग्गच्छइ। निग्गच्छित्ता जेणेव जिण्णुज्जाणे, जेणेव भग्गवए तेणेव उवागच्छइ। उवागच्छित्ता देवदिन्नं दारयं जीवियाओ ववरोवेइ। ववरोवित्ता आभरणालंकारं गेण्हइ। गेण्हित्ता देवदिन्नस्स दारगस्स सरीरयं निप्पाणं निच्चेटुं जीवियविप्पजढं भग्गकूवए पक्खिवइ। पक्खिवित्ता जेणेव मालुयाकच्छए तेणेव उवागच्छइ। उवागच्छित्ता मालुयाकच्छयं अणुपविसइ। अणुपविसित्ता निच्चले निप्फंदे तुसिणीए दिवसं खिवेमाणे चिट्ठइ।
सूत्र १८. तभी विजय नाम का चोर राजगृह नगर के विभिन्न गुह्य-एकान्त स्थलों का निरीक्षण-परीक्षण करता (पूर्व वर्णन के अनुसार) वहाँ आ पहुँचा। उसने गहनों से लदे-फदे देवदत्त को देखा। गहने देखते ही वह लोभ से पागल हो गया और उसके मन में विवेकहीन आकांक्षा जाग उठी। उसने इधर-उधर देखा और पाया कि दास पंथक बालक की ओर से बेखबर है। उसने झट से बालक को उठाया और अपनी काँख में दबाकर ऊपर से चदरा ढक लिया। फिर वह शीघ्र, त्वरित, चपल और तेज चाल से चलता नगर-द्वार से बाहर निकला और उस उजाड़ उद्यान में टूटे कुएँ के पास पहुँचा। वहाँ उसने बालक देवदत्त की हत्या कर दी और उसके सारे वस्त्रालंकार उतार कर ले लिये। बालक की प्राणहीन, चेष्टाहीन और निर्जीव देह को उसने टूटे कुएँ में डाल दिया। वह स्वयं कुएँ के पास के उस घने झुरमुट में घुस गया और निश्चल, निस्पन्द तथा मौन होकर छुप बैठा और दिवस के अन्त होने की राह देखने लगा।
।
main
-
KILL THE CHILD
18. Just than, while exploring unfrequented and secluded spots (details as before), Vijaya thief arrived there. He saw child Devdutt richly adorned with ornaments. The moment he saw the costly ornaments he became mad with greed and distorted ambition. Furtively he looked around and found that slave Panthak was not watching the child. He quickly picked up the infant in his arm and covered it with his shawl.
He rushed away from that spot, came out of the city gate and arrived near the broken well in the ruined garden. There he killed the
omo
-
.
(178)
JNĀTĀ DHARMA KATHĀNGA SŪTRA
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org