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ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र
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over it. He was dressed in garments as white as a swan and, so light that they could be blown away by a mere exhalation. He was then adorned with ornaments such as__Haar (necklace), Ardha-haar (half-necklace or a pendant with a chain), Ekavali (single string of beads), Muktavali (pearl string), Kanakavali (string of golden beads), Ratnavali (string of gem beads), Pralamb (a long necklace), Paad-pralamb, (a very long necklace dangling near the feet), Kandora, (a type of girdle), Kundal (earrings), Chudamani (an ornament for forehead), and Mukut (crown).
After this, garlands of flowers were put around his neck and fragrant sandal-wood oil, distilled in an earthen pot, was applied on his body.
In the end, he was further adorned with flower garlands made by four different processes- strung, wrapped, filled, and inter-woven.
सूत्र १०८. तए णं से सेणिए राया कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी"खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! अणेगखंभसयसन्निविट्ठ लीलट्ठियसालभंजियागं ईहामिग-उसभ-तुरय-नर-मगर-विहग-वालग-किन्नर-रुरु-सरभ-चमर-कुंजर-वणलयपउमलय-भत्तिचित्तं घंटावलि-महुर-मणहरसरं सुभकंत-दरिसणिज्जं निउणोचियमिसिमिसंतमणि-रयणघंटियाजाल-परिक्खित्तं खंभुग्गयवइरवेइयापरिगयाभिरामं विज्जाहरजमलजंतजुत्तं पिव अच्चीसहस्समालणीयं रूवगसहस्सकलियं भिसमाणं भिब्भिसमाणं चक्खुल्लोयणलेस्सं सुहफासं सस्सिरीयरूवं सिग्धं तुरियं चवलं वेइयं पुरिससहस्सवाहिणिं सीयं उवट्ठवेह।" __सूत्र १०८. श्रेणिक राजा ने फिर सेवकों को बुलाकर आज्ञा दी-“देवानुप्रियो ! शीघ्र ही एक विशाल पालकी तैयार कराओ जिसका विवरण इस प्रकार है-जो अनेक खंभों से बनी हो। जिसमें लीला करती पुतलियाँ सजी हों। जिसमें ईहामृग, वृषभ, घोड़ा, नट, मगर, पक्षी, साँप, किन्नर, रुरु, सरभ, चमरी गाय, हाथी, वनबेल, कमल बेल आदि के चित्र बने हों। जिसमें लगी घंटियों के गुच्छों की मीठी आवाज गूंज रही हो। जो इन सबसे शोभित हो शुभ, कान्त और दर्शनीय लग रही हो। जो कुशल कारीगरों की बनाई चमकदार मणिरलों की घंटियों के गुच्छों से सजी ऊँची वेदी लगी होने से नयनाभिराम लग रही हो। क्रीड़ारत विद्याधर युगल के चित्र और विविध रत्नों से जड़ी होने के कारण जो सूर्य की किरणों से भी अधिक प्रकाशवान हो। ऐसे सहस्रों सुन्दर चित्रों से सजी, रत्नों से चमकती, तरह-तरह की शिल्प कलाओं से सुरूप बनी यह पालकी आकर्षक हो, सुखद स्पर्श वाली हो और
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JNĀTĀ DHARMA KATHANGA SŪTRA
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