Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana, Surendra Bothra, Purushottamsingh Sardar
Publisher: Padma Prakashan
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प्रथम अध्ययन : उत्क्षिप्त ज्ञात
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was prescribed during pregnancy (limited, nutritious and healthy). She avoided excitement and remained composed by avoiding feelings like anxiety, sorrow, humility, fondness, fear, and horror. Thus she started passing the pregnancy period in a disciplined way enjoying food, dresses, perfumes, garlands, ornaments etc. that are suitable for all seasons.
When nine months and seven and a half days passed since the date of conception, she gave birth to a tender and healthy child (detailed earlier).
पुत्र-जन्म
सूत्र ५९. तए णं ताओ अंगपिडयारियाओ धारिणिं देविं नवण्हं मासाणं जाव दारयं पयायं पासंति। पासित्ता सिग्घं तुरियं चवलं वेइयं, जेणेव सेणिए राया तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता सेणियं रायं जए णं विजए णं वद्धावेंति। वद्धावित्ता करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कटु एवं वयासी-। __ एवं खलु देवाणुप्पिया ! धारिणी देवी णवण्हं मासाणं जाव दारगं पयाया। तं णं अम्हे देवाणुप्पियाणं पियं णिवेएमो, पियं ते भवउ। ___ तए णं से सेणिए राया तासिं अंगपडियारियाणं अंतिए एयमढे सोच्चा णिसम्म हट्टतुट्ट. ताओ अंगपडियारियाओ महुरेहिं वयणेहिं विपुलेण य पुप्फगंधमल्लालंकारेणं सक्कारेति, सम्माणेति, सक्कारित्ता सम्माणित्ता मत्थयधोयाओ करेति, पुत्ताणुपुत्तियं वित्तिं कप्पेति, कप्पित्ता पडिविसज्जेति। ___ सूत्र ५९. पुत्र का जन्म होते ही मन में हर्ष का आवेग भरे चपल शरीर और शीघ्र गति से चलती दासियाँ राजा श्रेणिक के पास आईं, दोनों हाथ जोड़ मस्तक को छुआ, अभिवादन किया, बधाई दी और बोलीं__हे देवानुप्रिय ! उचित समयानुसार धारिणी देवी ने पुत्र-रत्न को जन्म दिया है। हम आपको यह प्रिय समाचार देते हुए बधाई देती हैं।
राजा श्रेणिक यह समाचार सुन हर्ष से अभिभूत हो गए। उन्होंने दासियों का फूल, गंध, माला और आभूषण तथा मधुर वचनों से भरपूर सत्कार किया। उन्होंने दासियों को प्रचुर धन दे कई पीढ़ियों की आजीविका का प्रबन्ध कर (मस्तक धौत) दासता से मुक्त कर दिया।
CHAPTER-1: UTKSHIPTA JNATA
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