Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana, Surendra Bothra, Purushottamsingh Sardar
Publisher: Padma Prakashan
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(७०)
ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र
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(१३) अट्ठावयं (१४) पोरेकच्चं (१५) दगमट्टियं (१६) अन्नविहिं (१७) पाणविहिं (१८) वत्थविहिं (१९) विलेवणविहिं (२०) सयणविहिं (२१) अज्जं (२२) पहेलियं (२३) मागहियं (२४) गाहं (२५) गीइयं (२६) सिलोयं (२७) हिरण्णजुत्तं (२८) सुवन्नजुत्तिं (२९) चुन्नजुत्तिं (३०) आभरणविहिं (३१) तरुणीपडिकम्म (३२) इथिलक्खणं (३३) पुरिसलक्खणं (३४) हयलक्खणं (३५) गयलक्खणं (३६) गोणलक्खणं (३७) कुक्कुडलक्खणं (३८) छत्तलक्खणं (३९) दंडलक्खणं (४०) असिलक्खणं (४१) मणिलक्खणं (४२) कागणिलक्खणं (४३) वत्थुविज्जं (४४) खंधारमाणं (४५) नगरमाणं (४६) बूहं (४७) पडिबूहं (४८) चारं (४९) पडिचारं (५०) चक्कवूहं (५१) गरुलवूहं (५२) सगडबूह (५३) जुद्धं (५४) निजुद्धं (५५) जुद्धातिजुद्धं (५६) अद्विजुद्धं (५७) मुट्ठिजुद्धं (५८) बाहुजुद्धं (५९) लयाजुद्धं (६०) ईसत्थं (६१) छरुप्पवायं (६२) धणुव्वेयं (६३) हिरन्नपागं (६४) सुवन्नपागं (६५) सुत्तखेडं (६६) वट्टखेडं (६७) नालियाखेडं (६८) पत्तच्छेज्जं (६९) कडगच्छेज्जं (७0) सज्जीवं (७१) निज्जीवं (७२) सउणरुयमिति।
सूत्र ६८. मेघकुमार जब आठ वर्ष के हुए तो माता-पिता ने शुभ मुहूर्त में उन्हें कलाचार्य के पास भेजा। उन्होंने मेधकुमार को लेखन से आरंभ कर पक्षियों की भाषा तक बहत्तर कलाएँ सूत्र, अर्थ और प्रयोग द्वारा सिखाईं। वे कलाएँ इस प्रकार हैं(१) लेख (उस काल की अठारह (१३) चौपड़ खेलना
विभिन्न लिपियों को पढ़ना और (१४) आशु कविता लिखना।)
(१५) कुंभकार कला (२) गणित
(१६) खेती (३) रूप
(१७) जल उत्पत्ति व शुद्धि (४) नाट्य
(पेय पदार्थ का ज्ञान) (५) गीत
(१८) वस्त्र बनाना पहनना आदि (बुनाई, (६) वाद्य
सिलाई) (७) स्वर जानना
(१९) विलेपन कला (८) ढोलादि बजाना
(२०) शय्या बनाना व शयन विधि (९) ताल ज्ञान
(२१) कविता (आर्या छंद) (90) जुआ
(२२) पहेलियाँ बनाना व बूझना (गूढार्थ (११) वार्तालाप
रचना) (१२) पासा खेलना
(२३) मागधी भाषा व छंद
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Omma केल
AAVATIONAL
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JNĀTĀ DHARMA KATHANGA SŪTRA
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