Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
________________
-
२८६
भगवतीसूत्रे स खलु भदन्त ! 'आढायमाणे पभू' आद्रियमाणः प्रभुः? 'अणाढायमाण पभू अनाद्रियमाणः प्रभुः किम् ? हे भदन्त ! शक्रः ईशानेन आहूतः सन् तत्समीपे गन्तुं समर्थः ? किम् ‘गोयमा' हे गौतम ! स शक्रः ईशानेन 'आढायमाणे पभू' आद्रियमाणः प्रभुः आहूयमान एव तदन्तिकं गन्तुं समर्थः नौ नैव कथमपि 'अणाढायमाणे पभू' अनाद्रियमाणः प्रभुः अनाहूयमानः गन्तुं न समर्थः । 'पभूणं भंते' प्रभुः खलु भदन्त ! ' इसाणे देविदे देवराया' ईशानः देवेन्द्रः, देवराजः 'सक्कस्स देविंदस्स देवरणो' शक्रस्य देवेन्द्रस्य देवराजस्य 'अंतिअं' उसके पास जानेके लिये समर्थ है । ‘से गं भंते ! किं आढायमाणे पभू' इस पर वायुभूति ! प्रभु से प्रश्न करते है कि जब वह उसके पास जाने के लिये समर्थ हैं-तो जब ईशान इन्द्र उसे बुलाता हैतभी वह जाने के लिये समर्थ है कि विना बुलाये भी वह जानेके लिये समर्थ है अर्थात् ईशान इन्द्र जब उसे बुलाता है तभी वह उसके पास आता है कि बिना बुलाये भी वह उनके पास चला आता है ? इसके उत्तर में प्रभु गौतम से कहते है 'गोयमा ?' हे गौतम ! 'आढायमाणे पभू' ईशान इन्द्र जब उसे बुलाते है तभी वह उसके पास जाते है-'अणाढायमाणे नो पभू' विना उसके बुलाये वह नहीं जाते । तात्पर्य कहनेका यह है कि शक्र को अपेक्षा ईशान विशिष्ट है-अतः ईशानके बुलाने पर ही शक उसके पास जा सकता है-विना बुलाये वह उसके समीप जाने में अपने आपको असमर्थ पाते है । 'पभू णं भंते ! ईसाणे देविंदे देवराया' इस
उत्तर- "हंता पभू" , त तनी पासे पाने समय छे.
प्र-" से णं भंते। किं आढायमाणे पभू अणाढायमाणे पभू?" હે ભદન્ત! ઈશાનેન્દ્ર જ્યારે બેલાવે ત્યારે તે તેની પાસે જઈ શકે છે, કે વગર બોલાવ્યું તેની પાસે જઈ શકે છે. ____उत्त२-"आढायमाणे पभू अणाढायमाणे णो पभू" गौतम ! न्यारे ઇશાનેન્દ્ર તેને બોલાવે ત્યારે જ શક્રેન્દ્ર તેની પાસે જઈ શકે છે. વગર બેલાવ્યું તે ઈશાનેન્દ્ર પાસે જઈ શક્તા નથી. આ ઉત્તરનું તાત્પર્ય એ છે કે કેન્દ્ર કરતાં ઇશાનેન્દ્રનો દરજજે ઊંચે છે. તેથી ઇશાનેન્દ્ર બોલાવે ત્યારે જ શક્રેન્દ્ર તેની પાસે જઈ શકે છે– બોલાવે નહીં તે તે ત્યાં જવાને અસમર્થ છે.
--"पभू गं भंते । इसाणे देविदे देवराया सक्कस देविंदस्स देवरणो
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૩