Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयचन्द्रिका टीका श. ३ उ. ९ सू. १ इद्रियविषयस्वरूपनिरूपणम्
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'जीवाभिगमे' 'जीवाभिगमे सूत्रे' जोइसिय उद्दसओ' ज्योतिषिको देशको 'नेयव्त्रो' ज्ञातव्यः 'अपरिसेसो' अपरिशेषः संपूर्ण इत्यर्थः तथाहि 'जीवाभिगमसूत्रे' 'सोइंदिय विसए, जाव - फासिंदिय विसए, सोइदियविसए णं भंते ! पोग्गल परिणामे as विहे पण्णत्ते ? गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा - सुम्मिसदपरिणामे य, दुभिसद्दपरिणामे य, चक्खिदियविसए पुच्छा ? गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा - सुरुवपरिणामे य, दुरूत्रपरिणामे य, घाणिदियविसए पुच्छा ? गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा - सुब्भिगंध परिणामे य, दुब्भिगंध परिणामे य, एवं जिभिदिय विसर पुच्छा, गोयमा । दुविहे पण्णत्ते तं जहा सुरसपरिणामेय, दुरसपरिणामे य, फासिंदिय सिए पुच्छा ? गोयमा ! दुावहे पण्णत्ते तं जहा सुहफासपरिणामे य, दुहफासपरिणामे य' इत्युक्तम् ' श्रोत्रेन्द्रियविषयः, यावत्-स्पर्शेन्द्रिय विषयः, श्रोत्रेन्द्रियविषयो भदन्त ! पुद्गलपरिणामः कति विधः प्रज्ञप्तः ? गौतम ! द्विविधः प्रज्ञप्तः, तद्यथा सुरभिशब्दपरिणामः दुरभि विषय पाँच प्रकारका कहा गया है (तं जहा) जो इस प्रकार से है. 'सोइंदिय विस' श्रोत्रेन्द्रियका विषय 'जीवाभिगमे' जीवाभिगमसूत्रमें ' जोइसिय उद्देसओ' ज्योतिषिक उद्देशक में कहा गया है सो 'अपरिसेसो' वह समस्तउद्देशक यहां पर इन्द्रियों के विषय को जानने के लिये ग्रहण कर लेना चाहिये । वह इस प्रकार से है श्रोत्र इन्द्रिय का विषय जानने के लिये गौतमने वहां पर प्रभु से प्रश्न किया है कि हे भदन्त ! श्रोत्र इन्द्रियका विषयभूत पुद्गल - परिणाम कितने प्रकारका कहा गया हैं ! तब इसके उत्तर में प्रभुने गौतमसे कहा है कि हे गौतम ! श्रोत्रेन्द्रियका विषयभूत पुद्गल परिणाम दो प्रकारका कहा गया है । एक तो शुभ शब्दरूप परिणाम और दूसरा अशुभ शब्दरूप परिणाम, तात्पर्य कहनेका यह है कि भाषावर्गणाओंका परिणमन
अारना उद्या छे. 'तंजहा' ते पांथ प्रकाश नीचे प्रमाणे छे- 'सोइंदियत्रिसए' श्रोत्रेन्द्रियनो विषय, 'जीवाभिगमे' प्रवाभिगम सूत्रमा 'जोयसिय उद्देसओ' ज्योतिषि उद्देश मां या विषयभां ने प्रतिपादन श्वामां आव्यु छे, ते 'अपरिसेसो સમસ્ત વર્ણન આ વિષયમાં અહીં ગ્રહણ કરવું જોઇએ. તે વર્ણન નીચે પ્રમાણે છે— તે ઉદ્દેશકમાં શ્રોત્રેન્દ્રિયને વિષય જાણવાને માટે ગૌતમ સ્વામીએ પ્રભુને આ પ્રકારને પ્રશ્ન કર્યાં છે—‘હું ભદન્ત ! શ્રોત્રેન્દ્રિયના વિષયરૂપ પુદ્દલ પરિણામ કેટલા પ્રકારનું કહ્યુંછે ?’ ઉત્તર્— હે ગૌતમ! શ્રોત્રેન્દ્રિયના વિષયરૂપ પુદ્ગલ પરિણામ એ પ્રકારનું કહ્યું છે– (૧) શુભ શબ્દરૂપ પરિણામ, (૨) અશુભ શબ્દરૂપ પરિણામ. તેના ભાવાં નીચે
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૩