Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 889
________________ अथ नवमोद्देशकः प्रारभ्यते ___ इन्द्रिय विषयवक्तव्यताप्रस्तावः मूलम्-'रायगिहे जाव एवं वयासी-कइविहे णं भंते ! इंदियविसए पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचविहे इंदियविसए पणत्ते, तं जहा-सोइंदियविसए जीवाभिगमे जोइसियउद्दे सओ नेयव्वो, अपरिसेसो ॥ सू. १ ॥ छाया-राजगृहे यावत्-एवम् अवादीत्-कतिविधः खलु भदन्त ! इन्द्रिय विषयः प्रज्ञप्तः ? गौतम ! पञ्चविधः इन्द्रियविषयः प्रज्ञप्तः, तद्यथा-श्रोत्रेन्द्रिय विषयो जीवाभिगमे ज्योतिषिको शको ज्ञातव्योऽपरिशेषः ॥ स० १ ॥ तीसरे शतकका नवमां उद्देशक प्रारंभ'रायगिहे जाव एवं वयासी' इत्यादि । सूत्रार्थ-(रायगिहे जाव एवं वयासी) राजगृह नगरमें यावत् गौतमने प्रभुसे इस प्रकार पूछा-(कइविहेणं भंते ! इंदिय विसए पण्णत्ते हे भदन्त ! इन्द्रियों के विषय कितने प्रकारके कहे गये हैं ? (गोयमा) हे गौतम ! (पंचविहे इंदियविसए पण्णत्ते) इन्द्रियों के विषय पांच प्रकारके कहे गये हैं । (तं जहा) वे इस प्रकारसे हैं (सोइंदियविसए, जीवाभिगमे जोइसिय उद्देसओ नेयन्वो अपरिसेसो) श्रोत्रइन्द्रियका विषय, जीवाभिगमसूत्र में कथित समस्त ज्योतिषिक उद्देशकसे जानना चाहिये। ત્રીજા શતકના નવમા ઉદ્દેશકનો પ્રારંભ'रायगिहे जाव एवं वयासी' त्या: सूत्रार्थ- (रायगिहे जाव एवं वयासी) २४ नामां महावीर प्रभु પધાર્યા. પરિષદ વિખરાયા પછી ગૌતમ સ્વામીએ પપાસના કરીને તેમને પૂછ્યું(कइविहेणं भंते ! इंदियविसए पण्णत्ते ?) हे त! न्याना विषया या प्रारना ४ छ ? (गोयमा !) 3 गौतम! (पंचविहे इंदियविसए पण्णत्ते) धन्द्रियाना विषयोना पाय ४२ ४ह्या छ. (तंजहा) ते पाय । नीय प्रभारी छ(सोइंदियविसए, जीवाभिगमे जोइसिय उद्देसओ नेयम्वो अपरिसेसो) શ્રોત્રેન્દ્રિયનો વિષય, ઇત્યાદિ જવાભિગમ સૂત્રના જ્યોતિષ ઉદ્દેશકમાં આવતું સમસ્ત કથન અહીં ગ્રહણ કરવું જોઈએ. શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૩

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