Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 890
________________ भगवतीसूत्रे टीका-असुरकुमारादिदेवानाम् अवधिज्ञानदशायामपि इन्द्रियोपयोगोऽपि विद्यतेऽतस्तेषाम् इन्द्रियविषयं प्ररूपयितुं नवमोद्देशक प्रस्तौति-' रायगिहे' इत्यादि । राजगृहे गौतमो यावत्-एवं वक्ष्यमाणपकारेण 'वयासी' अवादीत्-अपृच्छत्- 'कइविहेणं भंते !' हे भदन्त ! कतिविधः खलु 'इंदिया विसए' इन्द्रिय विषयः 'पण्णत्ते' प्रज्ञप्तः ? यावत्करणात् 'नगरे स्वामी समवसृतः, पर्षत् निर्गच्छति, प्रतिगता पर्षत् पर्युपासीनः इति संग्राह्यम् । भगवान् आह-'गोयमा !' हे गौतम 'पंचविहे ' पञ्चविधः। 'इंदियविसए' इन्द्रियविषयः ‘पण्णत्ते' प्रज्ञप्तः ‘तं जहा' तद्यथा सोइंदिय विसए' श्रोत्रेन्द्रियविषयः टीकार्थ--असुरकुमार आदिदेवोंके अवधिज्ञानके सद्भावमें भी इन्द्रियांका उपयोग भी मौजुद रहता है इसलिये उनकी इन्द्रियोंके विषयको प्ररूपण करनेके लिये सूत्रकारने इस नौमे उद्देशक का प्रारंभ किया है । 'रायगिहे' इत्यादि 'रायगिहे' राजगृहमें गौतमने यावत् इस प्रकार पूछा-यहां इस प्रकारसे संबंध लगाना चाहिये कि राजगृह नगरमें महावीर स्वामी समवसृत हुवे, पर्षद निकली, प्रभु द्वारा धर्मका उपदेश सुनकर फिर वह पीछे चली गई ! गौतमने प्रभुकी पर्युपासना की और पर्युपासना करते हुए ही उनसे उन्होंने इस प्रकार पूछा यही बात यहां 'जाव' पदसे सूचित की गई है। गौतमने प्रभुसे 'कइ विहेणं भंते ! इंदियविसए पण्णत्ते, हे भदन्त ! कितने प्रकारका इन्द्रियोका विषय कहा गया है, इस प्रकारसे पूछा तब प्रभुने कहा 'गोयमा' गौतम ! इंदियविसए पंचविहे पण्णत्ते' इन्द्रियोंका ટીકાથ—અસુરકુમાર આદિ દેવામાં અવધિજ્ઞાનને સદભાવ હોવા છતાં પણ ઈનિદ્રોને ઉપયોગ પણ થતું હોય છે. તેથી તેમની ઇન્દ્રિયના વિષયની પ્રરૂપણા ४२वाने भाटे सूत्रधारे मा नभी देश ३ छ. 'रायगिहे' २०४७ नगरमा महावीर प्रभु पधार्या. ही 'जाव' ५४या नायने। सूत्रा6 अणु ४२॥ये। छધર્મોપદેશ શ્રવણ કરવાને પરિષદ નીકળી. ધર્મોપદેશ સાંભળીને પરિષદ પાછી ફરી. ત્યાર બાદ મહાવીર પ્રભુને વંદણા નમસ્કાર કરીને ગૌતમ સ્વામીએ વિનય પૂર્વક नीयन। प्रश्न पूछया- 'जाव एवं वयासी' ५४थी ५२।४त सूत्रपा8 अड४२या छे. प्रश्न- 'कइविहेणं भंते ! इंदियविसए पण्णत्ते' 3 महन्त ! धन्द्रियाना વિષય કેટલા પ્રકારના કહ્યા છે? મહાવીર પ્રભુ તેનો જવાબ નીચે પ્રમાણે આપે છે– 'गोयमा गौतम! 'इंदियविसए पंचविहे पण्णत्ते' धन्द्रियाना विषय पाय श्री भगवती सूत्र : 3

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