Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयचन्द्रिकाटीका श.३.उ.७मू.१ शक्रस्य सोमादिलोकपालस्वरूपनिरूपणम् ७७३ सहस्साई, बहूई जोयणसयसहस्साई, बहूओ जोयणकोडीओ, बहूओ जोयणकोडाकोडीओ, उडूढ, दूर वीईवइत्ता, एत्थणं सोहम्मे णामं कप्पे, पण्णत्ते, पाइणपडीईणायए, उदीणदाहिण वित्थिन्ने, अद्धचंदसंठाणसंठिए, अचिमालिभासरासिवण्णाभे असंखेजाओ जोयणकोडाकोडीओ, आयामविकखंभेणं, असंखेज्जाओ, जोयणकोडाकोडीए परिक्खेवेणं, एत्थणं सोहम्माणं देवाणं बत्तीसं विमाणावाससयसहस्साइ' भवतीति अक्खाया, तेणं विमाणा सब्बरयणामया, अच्छा, जाव-पडिरूवा, तस्स णं सोहम्मकप्पस्स बहुमज्झदेसभाए' त्ति' संग्राह्यम् ।
छाया-'बहूनि योजनशतानि, बहूनि योजनसहस्राणि, बहूनि योजनशतसहस्राणि, बहवो योजन कोट्यः, बहवो योजनकोटाकोट्यः, ऊर्ध्वम्, दूरजोयणसहस्साई, बहूई जोयणसयसहस्साइ ,बहूओ जोयणकोडीओ,बहूओ जोयणकोडाकोडीओ, उड्ढ दूरं वीइवइत्ता, एत्थ णं सोहम्मे णाम कप्पे पण्णत्ते, पाइणपडीईणायए, उदीणदाहिणवित्थिन्ने, अद्धचंदसंठाणसंठिए, अचिमालिभासरासिवण्णाभे, असंखेज्जाओ, जोयणकोडाको डीओ परिक्खेवेणं, एत्थ णं सोहम्माणं देवाणं बत्तीसं विमाणावाससयसहस्साई भवतीति अक्खाया, तेणं विमाणा सव्व रयणामया, अच्छा जाव पडिरूवा, तस्स णं सोहम्मकप्पस्स बहु मज्झदेसभाए' इस पाठका संग्रह किया गया है, इसका अर्थ इस प्रकार से है-सेंकडों योजन ऊचे दूर जाने पर, अनेक हजार योजन ऊंचे दूर जानेपर, अनेक लाख योजन ऊँचे दर जानेपर अनेक करोड योजन ऊँचे दूर जानेपर, और अनेक कोटाकोटियोजन ऊचे दूर जानेपर इसी स्थान 'बहूई जोयणसयाई, बहूई जोयणसहस्साई, बहूइ जोयणसयसहस्साई, बहूओ जोयण कोडीओ, बहूओ जोयणकोडाकोडीओ, उड्ढं दूरं वीइवइत्ता, एत्थणं सोहम्मे णामं कप्पे पण्णत्ते, पाइण पडीईणायए, उदीणदाहिणवित्थिन्ने, अद्धचंद संठाणसंठिए, अचिमालिभासरासिवण्णाभे, असंखेज्जाओ, जोयणकोडाकोडीओ परिक्खेवेणं एत्थणं सोहम्माणं देवाणं बत्तीस विमाणावाससयसहस्साई भवंतीति अक्खाया, तेणं त्रिमाणा सव्वरयणामया, अच्छा जाव पडिरूवा, तस्स गं सोहम्मकप्पस्स बहुमज्झदेसभाए' २५॥ सूत्रयाने लावा नीय प्रभा છે–સેંકડે જન ઊંચે જવાથી, અનેક હજાર એજન દૂર ઊંચે જવાથી, લાખે જન દૂર ઊંચે જવાથી, કરેડ પેજન દૂર ઊંચે જવાથી, અનેક કેટ કોટિ એજન દૂર ઊંચે
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૩
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