Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 871
________________ प्रमेयचन्द्रिका टीका श.३ उ. ८ सू.१ भवनपत्यादिदेवस्वरूपनिरूपणम् ८५७ अमितवाहनः, तुर्यगतिः, क्षिप्रगतिः, सिंहगतिः, सिंहविक्रमगतिः, वायुकुमाराणाम्-वेलम्बः, प्रभञ्जनः, कालः, महाकालः, अञ्जनः, रिष्टः, स्तनितकुमाराणाम् पोषः, महाघोषः, आवर्तः, व्यावः, नन्धावतः, महानन्धावतः, एवं भणितव्यम्, यथा- असुरकुमाराः, सोमः, कालकालः, चित्रः, प्रभः, तेजः, रूतः, कुमागणं अमियगई, अमियवाहणे, तुरियगई, खिप्पगई, सोहगई, सीहविकमगई) दिशाकुमार देवोंके ऊपर अधिपतित्व करनेवाले अमितगति और अमितवाहन तथा इनके लोकपाल त्वरितगति, क्षिप्रगति, सिंहगति और सिंहविक्रमगति ये दश है। (वाउकुमाराणं बेलंव, पमंजन, काल, महाकाल, अंजणरिह) वायुकुमारदेवों के ऊपर अधिपतित्व करनेवाले वेलंव और प्रभंजन तथा इनके लोकपाल, काल, महाकाल, अंजन और रिष्ट हैं । (थणियकुमाराणं घोसमहाघोस, आवत्त, वियावत्त, नंदियावत्त, महानंदियावत्त एवं भाणियव्वं जहा असुरकुमारा) स्तनितकुमारोंके ऊपर अधिपतित्व करनेवाले घोष, और महाघोष, तथा इनके लोकपाल आवर्त, व्यावर्त्त, नन्दिकावर्त, एवं महानन्दिकावर्त ये दश देश हैं, इस प्रकारसे समस्त कथन असुरकुमारोंकी तरहसे ही जानना चाहिये । (सोमेय कालवाले, चित्त, पभ, तेओ तहरूवे चेव, जल, तहतुरियगइ या काल, आवत्त दिसाकुमाराणं अमियगड, अमियवाहणे, तुरियगइ, खिप्पगइ, सीहगइ, सीहविकमगड) शिशुभारे। ५२ नाना स वो धिपतित्व ६४२- १] અમિતગતિ, રિ અમિતવાહન (૩ થી ૧૦ તથા તેમના ચાર ચાર કાલે – ત્વરિતગતિ, સિપ્રગતિ, સિંહગતિ અને સિંહવિકમગતિ. (वाउकुमाराणं वेलंच, प्रभंजन, काल, महाकाल, अंजणरिट) वायुमा। પર નીચેના દસ દેવોનું અધિપતિતવ આદિ ચાલે છે [૧] લંબ, [૨] પ્રભંજન [3 थी १०] तेमना यार यार सपा- स, मास, मन भने रिष्ट. (थणियकुमाराणं घोस, महाघोस - आवत्त, वियावत्त, नंदियावत्त, महानंदियावत्त एवं भाणियव्वं जहा असुरकुमारा) सनितभा२। ५२ नायना ૧૦ દેવો અધિપતિત્વ આદિ કરે છે– [૧] ઘેવ, [૨] મહાદેષ, [૩ થી ૧૦] અને તેમના ચાર ચાર લોકપાલે– આવર્તા, વ્યાવ7, નન્દિકાવત્ત, અને મહાનન્દિકાपत्त. मा प्रमाणे समरत यन मसुरशुभाशना ४थन प्रमाणे सभा. (सोमे य कालवाले, चित्त, पभ, तेओ, तहरूवेचेव, जल, तह तुरियगइ या काल आवत्त શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૩

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