Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयचन्द्रिका टीका श.३ उ.७सू.४ वरुण नामकलोकपालस्वरूपनिरूपणम् ८२९ सन्ति. अथ वरुणस्य पुत्रस्थानीय देवान प्रतिपादयितुमाह 'सक्कस्स णं' इत्यादि। शवस्य खलु देविंदस्स' देवेन्द्रस्य देवरण्णों देवग़जस्य, वरुणस्स' वरुणस्य 'महारण्णो महाराजस्य 'जाव-अहावचाऽभिण्णा या होत्था' यावत् यथा पत्याभिज्ञाता अपत्यसदृशतया अभिमताः, यावत्करणात-' इमे देवाः ' इति संग्राह्यम्, तानेवाह-तं जहा' तद्यथा 'कक्कोडए' कर्कोटकः, कर्कोटक नामा अनुबेलन्धर नागराजावासभूतः पर्वतः लवणसमुद्रस्यैशान्यां दिशि वर्तते तन्निवासी नागराजः 'कर्कोटकः' इति, 'कदमए' कर्दमकः, लवणसमुद्रस्याग्नेय्यां दिशि विद्युत्पभपर्वतनिवासी — कर्दमको ' नाम नागराजः, 'अंजणे' अञ्जनः; वेलम्बनाम वायुकुमारराजस्य 'अञ्जनाभिधानो लोकपालः, “संखवालए' शङ्ख
अब वरुणके पुत्र स्थानीय देवोंको बतानेके लिये सक्कस्म णं देविंदस्स देवरणो' इत्यादि पाठ कहते हुए सूत्रकार कहते है कि-देवेन्द्र देवराज शक्रके लोकपाल 'वरुणस्स' वरुण 'महारणो' महाराजको 'जाव अहावच्चाऽभिण्णाया होत्था' ये आगे जिनका निर्देश किया गया हैदेव अपत्यके पुत्र के-जैसे मान्य हुए है। वहां यावत्पदसे 'इमे देवा' इन पदों का संग्रह हुआ है । 'तं जहा' पुत्रके जैसे जो देव माने गये है वे ये है 'कक्कोडए' कर्कोटकः अनुवेलन्धर नागराज का आवासभूत कर्कोटक नामका एक पर्वत है, जो कि लवणसमुद्र की ईशान दिशामें है-उस पर रहने के कारण नागराज का भी कर्कोटक ऐसा नाम हो गया है । “कद्दमए" कर्दमक-लवण समुद्रकी आग्नेय दिशामें विद्युत्प्रभ नामका एक पर्वत है। इस पर्वत पर रहनेवाला 'कदम' इस नामका यह नागराज है। अंजणे' अंजन-वेलम्ब नामक वायुकुमार के राजाका वह इस नामका लोकपाल है । 'संखवालए'
वे सूत्र४२ १२ना पुत्रस्थानीय वोर्नु नि३५ ४२ छ-'सकस्स णं देविदस्स देवरणो' हेवेन्द्र, ११२।०४ शन'वरुणस्स महारण्णो खोपास १३ महाराना 'जान अहावच्चाऽभिण्णया होत्था' पुत्रस्थानीय वो नीय शव्या प्रमाणे छ(मही 'जाव' ५६यो 'इमे देवा' ५६ अणु यु छ.) (तंजहा) १२ना પુત્રસ્થાનીય દેવના નામ નીચે પ્રમાણે છે"ककोडए" टि-मनुवेतन्य२ नाना मापास३५ ट नाभन ५ त छ. ते 2 ५२ २ना। नागराने ' ४' ४डस छ "कहमए" ४६भर-सवा સમુદ્રના અગ્નિકેણમાં વિઘુભ નામને પર્વત છે. તે પર્વત પર “કર્દમ” નામને नारा०४ रहे छे. "अंजणे" मन-३a नामना वायुभाशना ने 'मन' नामना alla छे. "संखवालए" Aपास-घरधु नामाना नागराना पार
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૩