Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 857
________________ प्रमेयचन्द्रिका टीका श. ३ उ. ७. ५ वैश्रमण नामकलोकपालस्वरूपनिरूपणम् ८४३ एवं तथैव 'सीसागरावा' सीसकाकराः इतिवा, 'हिरण्णागराइवा' हिरण्याकरा इति वा, 'सुवण्णागराइवा' सुवर्णाकरा इति वा 'रयणागराहवा' रत्नाकरा इति वा, 'asairat' वज्राकरा इति वा हीरकाकराः इत्यर्थः 'वहारावा' वसुधाराः तीर्थकर जन्मनादिषु तथा भावितात्माऽनगारस्य पारणादिषु गमनात् द्रव्यवृष्टयः इति वा 'हिरण्णवासाड़वा' हिरण्यवर्षाः इति वा, हिरण्यं रूप्यम् 'सुवण्णवासाइवा' सुवर्णवर्षा इतिवा, 'रयणवा साइवा' रत्नवर्षाइतिवा 'रावासावा' वज्रवर्षा इति वा, 'आभरणवासाइवा' आभरणवर्षा इति वा, 'पत्तवासाइवा' पत्रवर्षा इति वा, 'पुप्फबासाइवा' पुष्पवर्षा इति वा 'फलवासाइवा' फलवर्षा इति वा, 'बीजवासाइवा' बीजवर्षा इति वा, 'मल्लवासावा' मा वर्षा इति वा, माल्यं सूत्रप्रथितपुष्पाणि तद्वर्षा इत्यर्थः, 'वण्णवासाइवा' वर्णवर्षा इति वा, वर्णश्चन्दनम् तद्वर्षा इत्यर्थः, प्रकार से 'सीसागराह वा सीसाकी खानें, 'हिरण्णागराह वा' हिरण्य चांदी की खाने, 'सुवण्णागराड़ वा' सोनेकी खाने, 'रयणागराइ वा, रत्नोंकी खाने, 'वहरागराइ वा, वनरत्नकी हीराकी खाने, 'वसुहारा वसुधरा तीर्थकर प्रभुके जन्मकल्याणक आदिके समय में, तथा भावितात्मा अनगारकी पारणा आदिके समय में आकाश से द्रव्यवृष्टि, 'हिरण्णवासा वा' चांदी की वर्षा, 'सुवण्णवासाइ वा' सोनेकी वर्षा, 'रयणवासा वा' रत्नों की वर्षा, 'वइरावासावा' हीराकी वर्षां, आभरणवासाइ वा, आभूषणोंकी वर्षा, 'पत्तवासा वा' पत्रोंकी वर्षा, पुष्पवासाह वा, अचित्तपुष्पोंकी वर्षा, फलवासाइ वा, फलोंकी वर्षा, 'बीयवसाई वा' बीजोंकी वर्षा 'मल्लवासाह वा' सूत्र में गूंथे हुए पुष्पोंकी मालाओंकी वर्षा, वण्णवासाह वा, वर्ण चन्दनकी वर्षा, चुण्णसीसागराइ बा' सीसानी भागेो, 'हिरण्णागराइ वा' यांहीनी माथे, 'सुत्रण्णागराइ वा' सोनानी आशा, ‘रयणागराह वा' रत्ननी शे', 'वहरागराइ वा' व भरत्ननी डीरानी माशी, 'वसुहारा' वसुधारा - तीर्थ और भगवानना कन्भ आदि प्रसंगे तथा ભાવિતાત્મા અણુગારના પારણા આદિને સમયે આકાશમાંથી થતી દ્રવ્યવૃષ્ટિ, हिरण्णवासाइ वा' यांहीनी वर्षा, 'सुवण्णवासाइ वा' सोनानी वर्षा, 'रयणवासाह वा' रत्नानी वर्षों, वइरावासाइ बा' हीरानी वर्षा, 'आभरणवासाह वा याभूषणना वर्षा, 'पत्तवासाहू वा' पाननी वर्षा, 'पुष्पवासाइ वा' अथित्त पुष्योनी वर्षा, 'फलवासाह वा' जोनी वर्षा, 'बीयवासाइ वा' मीनेनी वर्षा, 'मल्लवासाइ वा' पुण्यानी माणामनी वर्षा, 'वण्णवासाइ वा' वर्षा-यन्धननी वर्षा, 'चुण्णवासाइ 9 શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૩

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