Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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भगवतीसूत्रे
इत्यर्थः अत एव 'पहीणसामिआइ वा' प्रहीण स्वामिकानि, नष्टभर्तृकाणि इत्यर्थः, 'पहीण सेउआइ वा, प्रहीणसेचकानि इति वा, प्रहीणा स्वल्पी भूताः : सेचकाः द्रव्यनिक्षेप्तारो येषां तानि, 'पहीण मग्गाणि वा, प्रहीण मार्गाणि इति वा, 'पहीणगोत्तागारा इ वा' प्रहीणगोत्रागाराणि इति वा . प्रहीणम् अल्पीभूतमनुष्यगोत्रागारं तत्स्वामि गोत्रगृहं येषां तानि, 'उच्छण सामिआइ वा उत्सन्न स्वामिकानि इति वा, आधिपत्यसत्ता रहितप्रभूणि, 'उच्छण्णसेउ आइ वा' उत्सव सेतुकानि इति वा नाममात्रावशिष्टसेतुकानि 'उच्छण्णगोत्तागाराइ वा' उत्सन्नगोत्रगाराणि इति वा, नष्ट गोत्रगृहाणि इत्यर्थः, 'सिंघाडग-तिग- चउक्क - चच्चर - चउम्मुहमहापह - पहेसुवा ' श्रृङ्गाटकत्रिक-चतुष्क- चत्वर- चतुर्मुख - महापथ- पथेषुवा तुत्र श्रृङ्गाटके श्रृङ्गाटक फलाकार जीर्णशीर्ण अवस्थामें हुई ऐसी वह विभूति कि 'पहीणसामियाई” जिसके गाढनेवाले स्वामीतक नष्टतक हो चुके हैं या मिलते नहीं हैं पहीणसेउयाइ वा, अथवा जिसकी वृद्धि करने वाले भी अब कोई नहीं रहे हैं, 'पहीणमग्गाणि वा, प्राप्ति करने के मार्ग भी जिसके नष्ट होचुके हैं 'पहिण गोत्तागाराई वा अथवा जिनके स्वामियों के गोत्र, के घर अल्प रह गये हैं, 'उच्छण्णसामियाई वा, अथवा जिसके स्वामी हैं भी परन्तु उनकी उस पर कोई सत्ता नहीं रही है, 'उच्छण्णसेउयाई' वा' सत्ता होने पर भी जिसकी संभाल करनेवाला कोई नहीं है नाम मात्र ही जिसकी संभाल करनेवाले अवशिष्ट हैं, 'उच्छण्णगोत्तागाराई वा' जिसके स्वामिय, के गोत्रो के घर बिलकुल ही नष्ट हो चुके हैं । जो 'सिंघाडग-तिग- चउक्क-चच्चर चम्मुह महापह पहेसु वा, सिंघाड़े के आकार जैसे मार्गमें, त्रिक अशोक शीर्ण अवस्थामां रडेसी विभूति [द्रव्यराशि] 'पहीणसामियाई' भाति। पशु भरी परवार्या छे, 'पहीणसेउयाई वा' अथवा बेनी वृद्धि नाई पशु ( रधुं नथी, 'पहीणगोत्तागाराइ वा' अथवा लेना भातिना घरी महय प्रभाशुभां माडी रह्या छे, 'पहिणमग्गाणि वा' अथवा लेने प्राप्त श्वाना भार्गो पशु नाश पाभ्या छे, 'उच्छण सामियाइ वा' अथवा लेना स्वाभीनुं अस्तित्व होवां छतां तेना पर तेना स्वाभीनी श्रे सत्ता रही नथी, 'उच्छण्ण सेउयाइवा જેની સંભાળ રાખનાર કોઇ જ નથી અથવા જેની સંભાળ રાખનાર કાઈ જ नाभना ४ માણસા ખાકી છે. 6 उच्छण्ण गोत्तागाराड वा भेना भासिडोना घर जिसस नष्ट थहा गया है, ने 'सिंगाडगं तिग' चउक्क, चच्चर, 'चउम्मुह - महापह - पहेसु चा' शिगोडाना आझरना भार्गभां
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શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૩