Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयचन्द्रिका टीका श.३ उ.७ सू.४ वरुणनामक लोकपालस्वरूपनिरूपणम् ८२५ शक्रस्य खलु 'देविंदस्स देवरण्णो' (देवेन्द्रस्य देवराजस्य) 'वरुणस्स' वरुणस्य 'महारणो' महाराजस्य 'जाव-चिट्ठति' यावत्-तिष्ठन्ति, यावत्करणात् 'इमे देवा आज्ञा-उपपात-वचन-निर्देशे' इति संग्राह्यम् । 'तं जहा'-तद्यथा-'वरुण काइआइवा' वरुणकायिकाः वरुणपरिवारभूताः देवाः इति वा, 'वरुणदेवयकाइआ इवा' वरुणदेवतकायिकाः वरुण सामानिक देवपरिवारभूता इति वा 'नागकुमारा, नागकुमारीओ' नागकुमाराः नामकुमायः, 'उदहिकुमारा' उदधि कुमाराः 'उदहिकुमारीओ' उदधिकुमार्य: 'थणिअकुमारा' स्तनितकुमाराः 'थणिअकुमारीओ' स्तनितकुमार्यः, 'जे यावणे तहप्पगारा' ये चाप्यन्ये तथा प्रकाराः तत्सदृशाः, 'सव्वेते तब्भत्तिा' सर्वे ते तद्भक्तिकाः 'जाव-चिट्ठति' अब वरुणकी आज्ञा आदिको माननेवाले देवोंको दिखानेके लिये सूत्रकार कहतेहै-कि-सक्कस्सणं देविंदस्स देवरणो' देवेन्द्र देवराज शक्रके लोकपाल 'वरुणस्स महारणो' वरुण महाराज 'जाव चिट्ठति'की ये देव'आज्ञा में, उपपात-सेवामें, वचन में एवं निर्देशमें रहते है-ऐसा पाठ यहां लगा लेना चाहिये-यह वात 'जाव' पदसे कही गई है। जो देव वरुण महाराजका आज्ञा आदिमें रहते है 'तं जहा' उनके नाम इस प्रकार से है-'वरुणकाइया इ वा' वरुणकायिक वरुणके परिवारभूत, 'वरूणदेवइकाइया इ वा' वरुण देवतकायिक-वरुणके सामानिक देवोंके परिवार भूतदेव 'नागकुमारा' नागकुमारदेव' 'नागकुमारीओ' नाग. कुमारियां, 'उदहिकुमारा' उदधिकुमार, 'उदहिकुमारीओ' उदधिकुमारियां 'थणियकुमारा' स्तनितकुमार, 'थणियकुमारीओ' स्तनितकुमारियां, तथा 'जे यावण्णे तहप्पगारा' और भी दूसरे इसी प्रकार के जो देव हैं 'सव्वेते' वे सब 'तम्भत्तिया' उस वरुणकी भक्ति में तत्पर हवान नि३५४४ ४२वाने सूत्र४।२ ४ छ - 'सक्कस्स णं देविंदस्स देवरणो' देवेन्द्र, विशय शना 'वरुणस्स महारणोत्री पास १२५१ महारानी 'जाव चिट्ठति ' ज्ञाभां, सेवाभां, क्यनने अनुस२पामा भने निशमा रहना। से पो छे, (तंजहा) तमनi नाम नीचे प्रमाणे - वरुणकाइयाइ वा' १२॥यि पो-१२ना परिपा२३५ ४पो, 'वरुणदेवइ काइयाइ वा' १२वत यि देवे।-
पना सामान वाना परिवा२३५ हेवाना पारवा२३५ हेवो, 'नागकमारा' नागभार देवा, 'नागकुमारीओ' नआभारीमा, 'उदहिकुमारा' अधिभार हेवो, ' उदहिकुमारीओ' धिमाशा, ' थणियकुमारा' स्तनित भा२ हेवा, ‘थणियकुमारीओ ' स्तनित भारीमा, तथा 'जे यावण्णे तहप्पगारा' ये ४२ना भी २ वा छ, सव्वे ते ते सर्व 'तम्भत्तिया'
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૩