Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयचन्द्रिका टी. श. ३ उ. २ . २ असुरकुमारदेवानामुत्पातक्रियानिरूपणम् ३४७ न्ताभिः अवसर्पिणीभिः समतिक्रान्ताभिः अस्ति एष भावो लोकाश्चर्यभूतः समुस्पद्यते यत् असुरकुमारा देवाः ऊर्ध्वम् उत्पतन्ति, यावद - सौधर्मः कल्पः १ किं निश्राय भगवन् ! असुरकुमारा देवाः ऊर्ध्वम् उत्पतन्ति, यावत् - सौधर्म : कल्पः ? गौतम ! स यथा नाम शबरा वा, बर्बरा वा, टङ्कणा वा, भुत्तुका वा, उपयंति) हे भदंत ! कितना काल निकलजाने के बाद असुरकुमार देव उर्ध्वलोक जाते हैं (जाव सोहम्मं कप्पं गया य गमिस्संति य) कि जिससे वे यावत् सौधर्मकल्प में गये हैं और जायेंगे, ऐसा कथन सिद्ध हो जाता हैं । (गोयमा !) हे गौतम ! (अणंताहिं उस्सप्पिणीहि अनंताहिं अवसप्पिणीहिं समइक्कंताहिं' अनन्त उत्सर्पिणी और अनन्त अवसर्पिणी काल के बीत जाने के बाद ( लोयच्छेर यभूए एसभावे समुपज्जइ ) लोक में आश्चर्य उत्पन्न करने वाला यह भाव उत्पन्न होता है ( जेणं असुरकुमारा देवा उड्ढ उप्पयंति ) कि असुरकुमार देव उर्ध्व लोक में जाते हैं (जाब सोहम्मो कप्पो) और यावत् सौधर्म कल्पतक जाते हैं । ( किं निस्साए णं भंते! असुरकुमारा देवा उड्ड उप्पयंति जाव सोहम्मो कप्पो ) हे भदन्त ! किसका आश्रय करके असुरकुमार देव यावत् सौधर्म कल्पतक जाते हैं ? ( गोयमा ) हे गौतम! ( से जहानामए सबराइ वा बब्बराइ वा, टंकणाइवा, भुताइ वा, पण्हयाइ वा ) जैसे कोई एक शबर હે ભદન્ત ! કેટલેા સમય પસાર થયા પછી અસુરકુમાર દેવા ઊલાકમાં જાય છે! ( जाव सोहम्मं कप्पं गया य गमिस्संति य ) है मेथी तेथे अवबो पर्यन्त गया छे भने भशे भेवुं स्थन सामित था लय छे ? ( गोयमा ! ) हे गौतम! (अनंता उसपिणीहिं अणताहि अवसप्पिणीहिं समझताहिंनंत उत्सर्पिणी श्मने अनंत अवसर्पिणी आज व्यतीत थया पछी (लोयच्छेरयभूए एसभावे समुपज्जइ) सोभां आश्चर्य उत्पन्न ४२नारे (जेणं असुरकुमारा देवा उड्ढ उप्पयंति ) असुरसुभार हेवेानो उर्ध्वसाम्मां गमन उखान (जाव सोहम्मे कप्पे ) सौधर्म देवसोङ पर्यन्त भवानी प्रसंग उद्दअवे छे. ( किं निस्साए णं भंते ! असुरकुमारा देवा उ उपयंति जाव सोहम्मो कप्पो ? ) લઈને અસુરકુમારો સૌધ કપ સુધી જાય છે ? जहा नामए सबराइ वा, बब्बराइ वा, टंकणाइवा, रीते शमर लतिना होओ, मर्जर लतिना बोझे अणु
હ ભદન્ત ! ગ્રેના આશ્રય ( गोयमा ! ) डे गौतम ! से भुत्याइ वा पण्डयाई वा )नेवी
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૩
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