Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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भगवतीचे यन्ते, नो परिजानन्ति, नो प्रभवस्ते असुरकुमारा देवास्तामिरप्सरोमिः सार्य दिव्यान् भोगभोग्यान् भुञ्जाना विहर्तुम् , एवं खलु गौतम ! अमुरकुमाराः देवाः सौधर्म गताश्च गमिष्यन्ति च ॥ १ ॥
टीका-तृतीयशतकरय प्रथमोदेशके चमरेन्द्रादीनां देवानां विकुर्वणाशक्तनिरूपणं कृतं, द्वितीये उद्देशके तु देवविशेषाणाम् असुरकुमाराणाम् गतिशक्तिमरूपणाय चमरेन्द्रस्योत्पातनिरूपणाय च शास्त्रकारः प्रस्तौति - ' तेणं कालेणं' कुमारा देवा ताहिं अच्छराहिं सद्धिं दिव्वाई भागभागाइं भुंजमाणा, विहरित्तए) इस तरह वे असुरकुमार देव उन अप्सराओं के साथ दिव्य भोगने योग्य भागों को भोग सकते है। (अह णं ताओ अच्छराओ नो आढायंति, नो परियाणंति, णो णं पभू ते असुरकुमारा देवा ताहिं अच्छराहिं सद्धिं दिगवई भागभोगाई भुंजमाणा विहरित्तए) यदि कदाचित् वे अप्सराएँ उनका आदर नहीं करे, उन्हें अपने स्वामी तरीके न स्वीकारें तो वे असुरकुमार देव उन अप्सराओं के साथ दिव्य भोगने योग्य भोगो को नहीं भोग सकते है । ( एवं खलु गोयमा । असुरकुमारा देवा सोहम्मं कप्पं गया य गमिस्संति य) हे गौतम। असुरकुमार देव सौधर्मकल्प तक गये दे, जाते है और आगे भी जायेगे, इस कथन में यह पूर्वोक्त कारण है-॥
टीकार्थ-तृतीय शतक के प्रथम उद्देशक में चमरेन्द्रादिक देवोंकी विकुर्वणा शक्ति का सूत्रकार ने निरूपण किया है। अब इसद्वितीय उद्देशक में देवविशेष असुरकुमारों की गति शक्ति की प्ररूपणा सद्धिं दिव्वाइं भोगभोगाइं मुंजमाणा, विहरित्तए ) मा ४२ना स योगाभारत मसुरशुमार हे ते मसरामे। साथे हिव्य साना लोवी छ. अहणं ताओ अच्छराी नो आढायंति, नो परियाणंति, णो णं पभू ते असुरकुमारादेवा ताहिं अच्छराहिं सद्धिं दिवाइं भोगभागाई मुंजमाणा विहरित्तए] ५ ते ५.स રાએ તેમને આદર ન કરે, તેમને તેમના સ્વામી તરીકે ન સ્વીકારે છે તે અસુરકુમાર देवे। तेभनी साथे हिव्य लोग मागी शsal नथी. [एवं खलु गोयमा ! असुरकमारा देवा सोहम्मं कप्पं गया य गमिरसंति या गौतम ! ते र असुरકુમાર દે સૌધર્મ ક૫ સુધી જતા હતા, જાય છે અને ભવિષ્યમાં પણ જશે. 1 ટકાથે–ત્રીજા શતકના પહેલા ઉદ્દેશકમાં સૂત્રકારે અમરેન્દ્ર વગેરે દેવની વિદુર્વણ શક્તિનું નિરૂપણ કર્યું છે. હવે અસુરકુમાર દેવાની ગતિશકિતનું તથા ચમ
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૩