Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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भगवतीसूत्रे किंप्रत्ययं किं कारणं खलु असुरकुमारा देवाः 'नंदिस्सरवरं दीवं' नन्दीश्वरबरं नन्दीश्वरद्वीपपर्यन्तं 'गया य' गताच 'गमिस्संति य' गमिष्यन्ति च । नन्दीश्वरद्वीपपर्यन्तगमने को हेतुः ? भगवानाह - गोयमा! जे इमे' इत्यादि । हे गौतम ! 'जे इमे ये इमे 'अरहंता' अर्हन्तः 'भगवंता' भगवन्तो विराजन्ते 'एएसिं णं' एतेषां खलु 'जम्मणमहेसु' जन्ममहेषु वा जन्ममहोत्सवेषु वा 'निक्खमणमहेसु' निष्क्रमणमहेषु-प्रव्रज्याग्रहणमहोत्सवेषु वा 'णाणुप्पाय महिमसु' ज्ञानोत्पादमहिमसु-केवलज्ञानोत्पत्तिमहोत्सवेषु वा, 'परिनिव्याणमहिमासु' परिनिर्वाणमहिमसु--मोक्षमाप्तिमहोत्सवेषु वा 'एवं खलु' इत्यादि शुभमाङ्गलिकावसरेषु असुरकुमारा देवाः 'नंदीसरवरं' नन्दीश्वरवरं 'दीवं' द्वीपं गया य' गताश्च 'गमिस्संति य गमिष्यन्ति च । गौतमःपुनस्तेषाप्रभु से पूछते हुए उनसे प्रश्न करते हैं- 'किं पत्तियं णं भंते' इत्यदि, हे भदन्त ! असुरकुमारदेव नंदीश्वर द्वीपतक पहिले गये हैं, जाते हैं, और आगे भी वहीं तक जायेंगे। सो इसमें क्या कारण है ? अर्थात् नन्दीश्वर द्वीपतक जाने में क्या बात है ? इसका उत्तर देते हुए प्रभु गौतम से कहते हैं-'गोयमा!' है गौतम ! 'जे इमे जो ये 'अरहंता' अर्हन्त 'भगवंता' भगवंत है, 'एएसिंणं इनके 'जम्मणमहेसु वा' जन्म महोत्सवों में 'निक्खमणमहेसु वा' प्रव्रज्या- दीक्षाग्रहण महोत्सवों में 'णाणुप्पायमहिमसु वा' केवलज्ञानोत्पत्ति महोत्सवों में 'परिनिव्वाणमहिमासु वा मोक्षप्राप्ति महोत्सवां में, इत्यादि शुभ मांगलिक अवसरों में ये 'असुरकुमारा देवा' असुरकुमार देव नदिस्सरवरदीवं गया य गमिस्संति य' नंदीश्वरद्वीप में पहिले गये है, वर्तमान में जाते है और आगे भी जायेंगे।
"कि पत्तियं णं भंते ! त्यादि" 3 महन्त ! २९२भार ! An २ નંદીશ્વર દ્વીપ સુધી ગયા હતા, જાય છે અને જશે? તેઓ શા માટે ત્યાં જતા હશે? त्यारे महावीर प्रभु नीय प्रमाणे वा माछ-"गोयमा !" गौतम ! जे इमे अरहंता भगवंता एएसिणं" 24 मत भगवान। छे, तेमना "जम्मणमहेसु वा " म भोत्सवमा, “ निक्खमणमहेस वा" हा महोत्सवमा "णाणुप्पायमहिमसुवा" ज्ञान उत्पत्तिना मात्सवमा परिनिव्वाणमहिमासु वा" मने निafey महात्सपमा " असुरकुमारदेवा नंदिस्सरवरदीवे गया य गमिस्संति य" मा सेवा भाट म.सुभा२ वो नहीवर दीप सुधा गया Sat, onय छ, भने नये.
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૩