________________ प्रकरण वीसवा . . . . पृष्ठ 224 से 246 तक ....... पिता-पुत्र मिलन . .. - आंखिर राजा चोरको पकडनेकी प्रतिज्ञा करता है, देवकुमार धोबी बनता है और राजा के कपडे चुराकर नगर बाहर खमे पर ले जाता है, वहाँ राजा पहुँचता है, वहाँसे राजाके कपडे और घोडे को उठाकर चोर नगरमें आ जाता है / प्रातः होते ही नगरमें राजाकी शोध होने लगी। आखिर नगर बहार राजा मोलता है। अग्निवैताल आता है और चोरको पकडनेकी प्रतिज्ञा करता है। उसका भी खड्ग देवकुमार चोर लेता है। आखिर चोरको पकडनेके लिये आधा राज्य देनेकी उद्घोषणा कि जाती है। . . . . . वेश्या यह वीडा झड़पती है और देवकुमारको लेकर राजसभामें जाती है, जहाँ पिता-पुत्र का मीलन होता है और कौतुकपूर्ण यह प्रकरणके साथ यह सर्ग भी खतम होता है। . समाप्तः चतुर्थः सर्गः सर्ग पाचवा पृष्ठ 247 से 320 तक प्र. 21 से 25 प्रकरण इक्कीसवा . . . . पृष्ठ 247 से 262 तक सुवर्ण पुरुषकी प्राप्ति राजकुमार विक्रमचरित्र अपने पिताकी अनुमति लेकर प्रतिष्ठानपुर Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org