________________ विक्रम चरित्र ही घर में जितनी सम्पत्ति है वह सब चुपचाप किसी गुप्त स्थान में रख दो, जिस से कोई भी मनुष्य उस गुप्त रहे हुए धन को न जान सके / एसा कहने पर कोटवाल की स्त्रीने भानजे (उस कपटी श्यामल) को घर में जितनी सम्पत्ति थी, वह सब दिखला दी। तब वह काटी श्यामल बोला-' हे मामी ! तुम शीघ्र ही इस कोठी में प्रवेश कर जाओ / तुम अपनी साड़ी जल्दी ही मुझे दे दो। नहीं तो राजा साड़ी आदि जितनी अच्छी अच्छी वस्तुओं हैं, निश्चय ही वे सब ले लेगा, क्योंकि जब दुष्ट हृदय राजा निर्दय होता है, तब जैसे अग्नि सब वस्तुओं को भस्म कर देता है, उसी तरह राजा भी सब धन का हरण कर लेता है। इस प्रकार की उस की बातें सुनकर कोटवाल की स्त्री कोठी में प्रवेश कर गई और उसने अपनी साड़ी श्यामल को दे दी। इसी प्रकार उस कपटी श्यामल ने कोटवाल की बहन को अन्न भरने की गुण में प्रवेश करा कर एक कोणे में छोड दीया, और बोला कि- यदि कोई मनुष्य आकर यहाँ कितना भी तूम लोगों को बुलावे, तो भी तुम लोग कुछ मत बोलना।' कोटवाल के घर चोरी तत्पश्चात् कपटी श्यामल पृथ्वी में रखा हुआ तथा घर Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org