________________ 210 विक्रम चरित्र ___ नगर के बाहर थोडे दूर कीसी स्थान पर जाकर देवकुमार ने बीस बोरे खरीदे, उस में उसने गुप्त रूप से गोवर, राख, धूल आदि भर दिया तथा कीसी व्यक्ति से गाड़ी किराये माँगी / गाड़ीवाले ने पूछा कि 'तुम कितना किराया दोगे?' सेठ रूप चोर बोला ' मैं अब भी पहुँचने पर प्रत्येक बोरी का दस दस रूपया किराया दूँगा / ' तत्पश्चात् वह चोर सब बोरी को गाड़ी में लाद कर उसका स्वामी बन कर रात्रि में अवन्ती के राज मार्ग पर पहुँचा। गाड़ी के चलते हुए बैलों के घुघरु की मधुर आवाज सुन कर लोग बोलने लगे कि-कोई बड़ा धनी सेठ नगर में आया लगता है ? ____ उस सार्थवाह रूप चोर ने गांव के बहार मुख्य वेश्या के घर के समीप में ही बोरों को गाड़ी से उतार कर रख दिया और मद्य बेचने बाले के घर जाकर मद्य से भरे हुए दो घड़े खरीद लाया / वैद्य के घर जाकर उसकी दुकान से निश्चेष्ट अवस्था करने वाला तथा मधुर स्वर करने वाला चूर्ण की दो पुड़िया खरीद कर वह सार्थवाह-चोर वहाँ से चला। रेशमी वस्त्र बेचने वाले की दुकान से बहुत अच्छे अच्छे वस्त्र तथा माली के घर जाकर अच्छे अच्छे सुगन्धित बहुत से फूल खरीद लाया। और एक आदमी को मुख्य वेश्या के घर भेजा। वह आदमी वेश्या के घर जाकर बोला- यहाँ एक बहुत धनाढ्य सेठ आया है / वह बहुत प्रकार से दान देता है / यदि तुम लोग उस के आगे अच्छा नृत्य करोगी तथा मधुर ध्वनि से गीत गाओगी तो तुम लोगों Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org