________________ 243 मुनि निरंजनविजयसंयोजित और अपने मन में जरा भी डर मत रखो। तुम्हारा कल्याण ही होगा।' तब वह वेश्या साहस करके उसके साथ चलने को तैयार हुई और बोली कि तुम–'धन्य एवं कृतार्थ हो / तुम्हारा साहस कोई अद्भुत है।' इसके बाद चोरने सुंदर वेषसे सजित होकर वेश्या के साथ राजमहल जाने के लिए प्रस्थान किया। ز ا ا د पररररूपहर ..... कीमत Ris START.ONITOMEDIA वेश्या व देवकुमार का रानसभा में आना ___जव देवकुमार वेश्या के साथ निकला, तब उसकों देखने के लिये सब लोग अपना अपना कार्य छोड़ कर बड़ी शीघ्रता से अपने अपने घरों से बाहर आने लगे और उस चोर का अत्यन्त लावण्ययुक्त शरीर देख कर बोलने लगे कि “अहो ! इस का अकाल में ही मृत्यु आगया / कोई कहता था कि राजा इसका बहुतं सत्कार करेगा। कोई कहता था कि इसके साथ इस वेश्या को भी आपत्ति आयगी / " इत्यादि अनेक प्रकार Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org