________________ ... विक्रम चरित्र -स्त्री, कन्या की अधिकता और दारिद्रय ये छै जीवलोक में नरक के समान दुःख देने वाले होते हैं। कन्या के जन्म लेते ही शोक होता है। इस के बढ़ने के साथ ही चिंता बढ़ती है। इस के विवाह में दण्ड भरना पड़ता है। इस लिये कन्या का पिता होना संसारमें निश्चय कष्टप्रद है। अपने घरका शोषण करने वाली, दूसरे के घर को भूषित करने वाली, कलह और कलंक का समूह एसी कन्या को जिसने जन्म नहीं दिया वही जीव लोक में सुखी है। कमल वणिक्ने बडे ही कष्ट से उन तीनों कन्याओं का विवाह कराया / ___ एक दिन वह वणिक अच्छे मनसे धर्म सुनने के लिये गुरु महाराजके पास गया। गुरुमहाराजने कहाकि 'सर्वज्ञ भगवन्त में भक्ति, उनके कहे हुए सिद्धान्त में श्रद्धा, और सुसाधुओंका पूजन, यह सब मनुष्य जन्मका सर्वोत्तम फल है / मुनि लोक कहते हैं कि सुपात्र में दान देना, विशुद्ध शील, नाना प्रकार के धर्मकी भावना, यह चार प्रकार का धर्म संसाररूपी सागरमें पार उतरने के लिये नौका के -समान है। यह सुनकर कमलने पूछा कि 'द्रव्य नहीं रहने पर दान कैसे दिया जा सकता है ?' गुरुमहाराजने उत्तर दिया कि 'तपस्या द्रव्य के विना भी अच्छी तरह की जा सकती है।' कमलने पुनः पूछा कि 'कौन कौन तप किया जाता है ?' Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org