________________ 274 विक्रम चरित्र इतनी बड़ी है, तब राजा की सेना कितनी बड़ी होगी?' उसे उत्तर मिला 'कि राजा की सेना तो असंख्य है / ' फिर उस भट्ट ने पूछा कि 'यह सेना क्यों एकत्रित हुई है ? .. तब उसे उत्तर मिला कि 'राजा विक्रमादित्य का पुत्र विवाह के योग्य हो गया है। इसलिये उसके मंत्रीने उसके योग्य कन्या को देखने के लिये राजा के आदेश से प्रस्थान किया है। पुनः भट्ट ने पूछा 'राजा का पुत्र रूप गुणादि में कैसा है ?' तब उसे उत्तर मिला कि 'हम लोग उस के रूप का वर्णन अपने मुख से नहीं कर सकते। अपने रूप से उसने कन्दर्प के रूप की शोभा को भी जीत लिया है। वह अत्यन्त पराक्रम से युक्त है और विक्रमचरित्र उसका नाम है। उसने पूर्व में राजा, कोटवाल, भट्टमात्र, वेश्या, द्यूतकार, कौटिक तथा अग्निवैताल को भी बल और चालाकी से जीत लिया था। राजा विक्रमादित्य के पुत्र श्री विक्रमचरित्र का रूप और पराक्रम संसार में सब से बढ़कर है, विशेष क्या कहें।' फिर वह भट्ट-ब्राह्मण मंत्री भट्टमात्र के समीप उपस्थित हुआ और बोला-'कि आप किस लिये इतनी बड़ी विशाल सेना से युक्त होकर प्रस्थान कर रहे हैं ?' तब मंत्री भट्टमात्र ने अपने आने का कारण बताया यह बात सुनकर उस ने कहा कि 'उनके योग्य अत्यन्त दिव्य रूपवाली मेरे ध्यान में एक कन्या है / ' भट्टमात्र ने पूछा कि 'वह किस की कन्या है ?,' भट्ट ने उत्तर दिया कि ' सौराष्ट्र-देश Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org