________________ मुनि निरंजनविजयसंयोजित 277 के रहने के लिये स्थान दिया। राजा महाबल ने प्रसन्न होकर पूछा कि 'हे भट्टमात्र ! वह वर कैसा है ?' इस प्रकार राजा के प्रश्न करने पर भट्टमात्र वर के विषय में राजा महाबल को विस्तार पूर्वक सब परिचय देने लगा। भट्टमोत्र कहने लगा कि 'वह राजा विक्रमादित्य का सुपुत्र है और सालवाहन राजा की कन्या सुकोमला के गर्भ से उत्पन्न हुआ है। वह अपने रूप की शोभा से कामदेव के रूप की शोभा को जीत लेता है। उसके अनेक प्रकार के निर्मल चरित्रों का वर्णन कोई नहीं कर सकता। उस वर को आपके भट्टने भी देखा है / उस को आप यहाँ बुलवा कर स्वयं ही पूछ लें / ' . राजा महाबल ने उस भट्ट को बुलवाया और उस को वर के विषय में सब हाल पूछे / भट्टने कहा 'उस वर के रूप की शोभा का वर्णन कोई नहीं कर सकता / शास्त्रो में जो जो गुण वर में देखने के लिये कहे गये हैं, वे सब गुण मैंने विक्रमचरित्र में पूर्णतः देखे हैं। कुल, शील, सहायक, विद्या, धन, शरीर तथा अवस्था ये सात गुण वर में देखने चाहिये। फिर तो कन्या अपने भाग्य के अधीन ही रहती है। मूर्ख, दरिद्र, दूरदेश में रहने वाले, मोक्षाभिलाषी और कन्या की अवस्था से त्रिगुण से भी अधिक अवस्था वाले को कन्या नहीं देनी चाहिये / ' 'फिर भट्टमात्र ने राजकन्या कैसी है ? यह जानने की इच्छा बतलाई। तब राजा महाबल ने कहा कि 'महल में चल कर कन्या देख लीजिये।' Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org