________________ 337 मुनि निरंजनविजयसंयोजित किनारे पर एक वृक्ष के नीचे बैठ गया। द्यूत खेलना (199DWP जब विक्रमचरित्र पानी पीने गया, तब सोमदन्त ने कुछ कंकर एकत्रित कर लिये और कुमार के आने पर बोला कि 'इस समय हम दोनों द्यत खेलें / ' कुमार कहने लगा कि मैं द्यूत नहीं खेलूंगा / द्यूत से नीरसता--प्रीति नष्ट होजाती है। पूर्व में युधिष्ठिर तथा दुर्योधन आदि में द्यत के कारण ही परस्पर विरोध हुआ / कहा भी है किः-- __“युत सकल आपत्तियों का स्थान है / दुर्बुद्धि लोग ही छत को खेला करते है / द्यूत से कुल कलंकित हो जाता है। द्यत खेलने की इच्छा-प्रशंसा अधम व्यक्ति ही करते हैं / "X . . राजा नल को छत के कारण ही सर्व भोगों से रहित होकर 4 द्यूतं सर्वापदां धाम घृतं दीव्यन्ति दुधियः। / द्यूतेन कुलमालिन्यं द्यूताय श्लाघतेऽधमः॥ 109 // ' 22 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org