________________ उस समय महाकाल का लिङ्ग धीरे 2 भेदन होने लगा और लिङ्गमेंसे यूंआ निकलने लगा, थोडी ही देरमें भेदित लिङ्गमेंसे श्रीपार्श्वनाथ भगवानकी प्रतिमा प्रकट होती हुई दिखाई देने लगी। [मु. नि. वि. सं. पृ. 377 विक्रमचरित्र] Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org