________________ 327 मुनि निरंजनविजयसंयोजित आदर है वही रस है, स्त्रियों में जो अनुकूलता है, वही रस है, मित्रों का जो प्रिय वचन है वही रस है।"* इस कलियुग में तुच्छ व्यक्ति नष्ट होते हैं। उदार आशय उन्नति को प्राप्त करते हैं। जैसे ग्रीष्म ऋतु में सरोवर सूख जाते हैं, परन्तु समुद्र यथेष्ट वृद्धि को ही प्राप्त करता है। भील भीलडी की मृत्यु इसके बाद उस वनवासी ने राजा को अपनी गुफा में सुख पूर्वक सुला दिया और बावन हाथ ऊँचाई की एक शिला लाकर द्वारपर लगादी। अपने घर पर आये हुए अतिथि-मेहमान की रक्षा के लिये स्वयं वह वनवासी द्वार के बाहर सो गया। रात में एक भयंकर शेर ने आकर भील को मार डाला। उस की गर्जना व भील की चीखों से उस की पत्नी जग गई और राजा के पास आकर उसे जगाया तथा कहा कि 'शेरने मेरे पति को मार डाला लगता है, तुरंत बाहर चलो।' राजा और भीलडी गुफा-द्वार पर आये तो वहाँ बड़ी शिला से द्वार बंद था / तब वह बोली, " इस शिला को तो मेरा पति ही दूर कर सकता है। अब हम किस प्रकार बाहर निकल सकेंगे।" उसका रोना पीटना सुनकर अपने बाँये पेर से शिला हटा कर राजा विक्रमादित्य बाहर आया और देखा कि व्याघ्रने उस वनवासी * पानीयस्य रसः शान्तं परान्नस्यादरो .रसः। आनुकूल्यं रसः स्त्रीणां मित्राणां वचनं रसः॥ 38 // Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org