________________ मुनि निरंजनविजयसंयोजित देकर कहा कि- 'यह श्लोक राजा को दे आओ।' उन के कहने के अनुसार द्वारपाल ने राजा विक्रमादित्य को ले जाकर वह श्लोक दे दिया। चार श्लोक का कथा ___हाथ में चार श्लोक लेकर आप से मिलने के लिये एक भिक्षुक आया है, और द्वार पर खड़ा है, अतः क्या वह आवे या जावे? + - राजा से श्री सूरिजी मिलने के लिये आये हैं। उनके हाथ में चार श्लोक हैं, वे राजा को सुनाना चाहते हैं। उन्होंने द्वार पर ही खड़े रह कर उपर्युक्त श्लोक द्वारपाल द्वारा राजा विक्रमादित्य के पास भेजा / राजा ने श्लोक को पढ़ा और उसका अपूर्व रहस्यभाव जाना, साधु को अपूर्व विद्वान् समझ कर उसके उत्तर में महाराजाने एक श्लोक लिख कर द्वारपाल द्वारा भेजा / जिसका भाव है--"इस विद्वान् को दसलाख रुपये तथा चौदह नगर का शासन दो, इसके बाद यदि वह चाहे तो राज सभामें हम से आकर के मिले और जाने की इच्छा हों तो जावे " * ऐसा उत्तर प्राप्त करके सूरीश्वर द्रव्य ग्रहण किये बिना ही राज सभामें आये और राजा के समक्ष आ कर एक अद्वितीय श्लोक पढ़े + भिक्षुर्दिदृक्षुरावातस्तिष्ठति द्वारि वारितः / हस्तन्यस्तचतुःश्लोकः किं वाऽऽगच्छतु गच्छतु ? // 137 // * दीयन्तां दश लक्षाणि शासनानि चतुर्दिशः / हस्तन्यस्तचतुःश्लोको यद्वाऽऽगच्छतु गच्छतु // 139 // Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org