________________ मुनि निरंजनविजयसंयोजित होते हैं / इसमें कोई सन्देह नहीं। उधर नगरमें प्रभात हो जाने के बाद जब महाराजा अपने आवास में नहीं दिखाई दिये तो राज्य में बहुत शोर हुआ और महाराजा की खोज होने लगी। मंत्री गण तथा अन्य सामंत आदि राजा को खोजते हुए नगर से बाहर आये तथा ढूंढते हुए राजा के समीप गये / राजा को वहाँ देख कर मंत्री लोग बोले ' स्वामिन् ! किस प्रयोजन से आप इस घोर वन में आये हैं अथवा कोई आपको यहाँ लाये है ? यह स्वर्ण पुरुष आपको कैसे प्राप्त हुआ ? इत्यादि वृत्तान्त हमें कहिये / ' ___ जैसी करणी वैसी पार उतरणी, - आज करेगा सो कल पावेगा, धोका-दगा किसी का सगा नहि, __ आप ही आप धोका पावेगा तब राजा विक्रमादित्य ने उन मंत्रियों तथा दूसरे लोगों के आगे योगी का आदि से अन्त तक सब वृत्तान्त कह सुनाया / कुण्ड में से सुवर्ण पुरुष लेकर राजा ने नगर में प्रवेश किया। जो कोई प्राणी परद्रोह करता है, उसका फल अनिष्ट होता ही है, इसमें कोई सन्देह नहीं / इसलिये अपना कुशल चाहने बाले पुरुष दूसरे के अहित की चिन्ता न करे / जैसे वृद्धा सास-सासू के लिये किये हुए द्रोह का फल वधू को ही भोगना पड़ा। . .. वीरमती की कथा ... इसकी कथा इस प्रकार है:-चन्दनपुर नाम के नगर में Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org