________________ विक्रम चरिख हित या अहित का चिन्तन करता है वह स्वयं हित या अहित को प्राप्त करता है। अतः दूसरे का अनिष्ट चिन्तन नहीं करना चाहिये। इस प्रकार की कथा सुनकर विक्रमादित्य अत्यन्त प्रसन्न हुआ। तथा कुछ दिन के बाद किस के मत से किसका काव्य अच्छा है यह विचार कर विद्वानों का काव्य सुनने लगा / जिसका जैसा काव्य राजा सुनता था उसको उस प्रकार से दान देकर सम्मानित करता था। बाईसवा प्रकरण सिद्धसेनसरि विक्रम की सिद्धसेनसूरि से भेंट - श्री सिद्धसेनसूरीश्वर जी महाराज जैन शासन की प्रभावना करने की इच्छा से वृद्धवादि गुरु के शिष्य " सर्वज्ञ सूनु" -सर्वज्ञ के पुत्र, का बिरुद उपाधि धारण करते हुए पृथ्वी पर भ्रमण Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org