________________ 254 विक्रम चरित्र निद्रा तथा कलह में ही बीता करता है। अतः मैं तुम को एक पुरातन कथा सुनाता हूँ, वह सावधान चित्त से सुनो। धीरे धीरे उस मृतक ने सारी रात्रि में राजा को पच्चीस कथा सुनाई। यही कहानियाँ वैताल पीली' के नाम से प्रसिद्ध हैं। राजा का अनिष्ट होता देख कर अग्निवैताल ने इन पच्चीस कथाओं से अधिकांश रात्रि बिता दी और राजा से कहा कि 'यह योगी छल से तुम्हारे जैसे श्रेष्ट पुरुष की बलि देकर शीघ्र ही सुवर्ण पुरुष बनाना चाहता है। इसलिये तुम इस योगी का विश्वास मत करना। यह दुरात्मा छली है और पापियों का शिरोनणि है। वक्र व्यक्ति माया से अपने स्वरूप को गुप्त रखते हैं। ज्ञान देने पर भी दुष्ट सर्परूपी दुर्जन तो लोगों को काटता ही है। मैं मन्त्र का जप करने वाले उस दुरात्मा योगी के समीप नहीं जा सकता इसलिये तुम ही उस योगी के पास जाओ। .... . . ENTS -- IWAN - any OWia, IN Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org