________________ 208 विक्रम चरित्र में जब पटह बजने लगा तब चार प्रमुख वेश्याओं ने परस्पर विचार किया कि अपने घर में प्रतिदिन कितने हि लोग आते हैं। उन में से किसी एक को पकड़ कर " यही चोर है", एसा कह कर राजा को अर्पण कर देंगे। इस से राजा हम लोगों पर प्रसन्न होगा और हम सब प्रकार से धनादि प्राप्त कर सुखी हो जावेंगी। वेश्याओं का पटह स्पर्श इस प्रकार परस्पर विचार कर उन्हों ने पह का स्पर्श किया / यह देखकर राजा तथा भट्टमात्र आदि मंत्री अत्यन्त ही प्रसन्न हुए। क्यों कि अपना अभिलषित जितना कार्य है वह सब यदि सिद्ध हो जाता है, तो मनुष्य अपने मन में चन्द्रमा के उदित होने से समुद्र की तरह प्रसन्न होता है। ___ तत्पश्चात् मंत्रियों ने उन वेश्याओं को राजा के समीप उपस्थित किया। राजा के समीप जाकर वेश्याओं बोली-कि -- यदि आठ दिन के अन्दर हम लोग चोर को नहीं पकड़े तो हम लोगों को आप चोर का दण्ड देना।' वेश्याओं की बात सुनकर मंत्री लोग कहने लगे कि 'वेश्याओं बड़ी बुद्धिशाली होती हैं / वे असाध्य कार्य को भी साध्य कर देती हैं / इसलिये ये सब चोर को अवश्य पकड़ेगी।' राजा के आगे इस प्रकार प्रतिज्ञा कर के वेश्याों अपने घर गई और प्रतिदिन चोर को पकड़ने का उपाय करने लगी। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org