________________ 217 marwarrrrrrrrrrmmmmmmmmmmmmmmm मुनि निरंजनविजयसंयोजित इसके बाद राजा ने अन्य स्त्रियों को बुलवा कर इन वेश्याओं को अरघट से नीचे उतरवाया और वस्त्र आदि पहनवा कर शक्कर मिलाया हुआ दूध पीलाया। कुछ देर के बाद उन लोगों के सचेतन होने पर राजा ने पूछा कि तुम लोगों की ऐसी दुर्दशा किसने की है ? तब वेश्याओं ने रात्रि का समस्त वृत्तान्त आदि से अन्त तक कह सुनाया। राजा यह सब सुन कर बोला कि 'यह वही छली चोर है, जो तुम लोगों की ऐसी दशा करके रात्रि में कहीं चला गया / तुम लोग मुझ से कुछ भी भय मत करो।' ऐसा कह कर राजा अपने स्थान पर चला गया। मंत्री लोग, वेश्याओं तथा अन्य लोग भी चोर का यह आश्चर्य करने बाले वृत्तान्त पर विचार करते हुए अपने अपने स्थान को गये / फिर एक दिन काली वेश्या के घर में बैठा हुआ वह चोर वेश्या से पूछने लगा कि नगर में अभी क्या क्या वार्ता चल रही है ? भट्टमात्र आदि मंत्रियों से युक्त राजा इस समय क्या करता है ? तब वह वेश्या चोर के आगे एकान्त स्थान में कहने लगी कि-'राजा ने भट्टमात्र आदि मंत्रियों को बुलाकर कहा कि उस चोर ने उन वेश्याओं की बड़ी दुर्दशा की है / इसलिये इस प्रकार के पराक्रम वाले उस चोर को किस प्रकार पकड़ेगे ?' तब भट्टमात्र आदि मंत्रियों ने राजा के आगे कहा कि वह इसी नगर में किसी के घर में ही 'स्थित है, और बराबर अनेक प्रकार के रूप धारण कर के नगर में इस प्रकार चोरी करता है।' Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org