________________ विक्रम चरित्र खोल देना / धन प्राप्त हो अथवा न हो, चोर लोग रात्रि में ही अपने घर में आजाते है / ' वेश्या ने कहा " रात में जब तुम आकर दरवाजा खटखटाओगे तब मैं शीघ्र ही खोल दूंगी।' - वेश्या के इस प्रकार कहने पर देवकुमार रूपी चोर निर्भय होकर नगर देखने के लिये वेश्या के घर से निकल कर अदृश्य रूप से समस्त नगर में भ्रमण करता हुआ उसने भट्टमात्र को अत्यन्त उदास तथा चिन्तित देखा भट्टमात्र को निरंतर नगर में भ्रमण करते हुए तीसरे दिन की सन्ध्या हो गई। उस रात्रि में जब सब लोग अपने अपने घर में सो गये, तब देवकुमार गांव के बाहर के भाग में हेड-बेडी में अपने दोनों पाँवों को फँसा कर निर्भय होकर स्थित हो गया। भट्टमात्र को मिलना गुप्त रूप से समस्त नगर में भ्रमण करके आगे बढ़ते हुए भट्टमात्र को देख कर देवकुमार बोलाः-'हे महा बुद्धिमान् ! नरोत्तम ! भट्टमात्र ! इतनी शीघ्रता से इस रात्रि में कहाँ जा रहे हो ? और क्या प्रयोजन है ?' पीछे से आई हुई इस आवाज को सुनकर भट्टमात्र चकित होगया और वापस लौट कर आया। बेड़ी में फँसे हुए व्यक्ति को देख कर वह बोला:-" तुम कौन हो ? तथा तुम्हें इस बेड़ी में कौन फंसा गया है ?" देवकुमार ने कहाः-" क्या बताऊँ, बिना किसी अपराध के ही Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org