________________ ॐ ही श्रीधरणेन्द्र-पद्मावतीसहिताय श्रीसंखेश्वरपाश्वनाथाय नमः JAN मूलं श्रीशुभशीलगणिविरचितम् ॥विक्रम-चरित्र॥ हिन्दीभाषासंयोजक-मुनिश्री निरञ्जनविजयजी . सर्वतन्त्र-स्वतन्त्र-शासनसम्राट्-सूरिचक्रचक्रवर्ति-- तपागच्छाधिपति-श्रीविजयनेमिसूरीश्वरगुरुभ्यो नमो नमः प्रथम प्रकरण अवन्तीका पूर्व परिचय इसी भारतवर्षमें तिलक समान धन-धान्य, सुवर्ण और रत्नादिसे परिपूर्ण मालव देश है, जिसमें x प्रथम तीर्थंकर 'श्रीऋषभदेव' के सुपुत्र 'श्रीअवन्तिकुमार' के नामसे प्रसिद्ध 'अवन्ती' नामक नगरी थी। अनेक प्रकार की सम्पत्ति तथा समृद्धि से युक्त होने के कारण x युगादिजिनपुत्रेणावन्तिना वासिता पुरी / अवन्तीत्यभवन्नाम्ना जिनेन्द्रालयशालिनी // 9 // . मालवावनितन्वङ्गी-भास्वद्भालविभूषणम् / * अवन्ती विद्यते वर्या पुरी स्वर्गपुरीनिभा // 10 // Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org