________________ मुनि निरंजनविजयसंयोजित अधीनकर के तथा बहुतसे राजाओं से मित्रता स्थापित करते हुए संसार में अतुल यश प्राप्त किया / ___महामात्य भट्टमात्र और अग्निवेताल की पूर्ण सहायता से राज्यकार्य की एक आदर्श प्रणाली (रीति) देश देशान्तर में प्रख्यात हुई। विक्रमादित्य विद्वानों तथा नीतिज्ञों के साथ काव्य-विनोद करते थे एवं न्यायपूर्ण सम्मति (राय) लेते हुए आनन्द से समय व्यतीत करते थे। माता की मृत्यु कुछ काल पश्चात् एक दिन महाराज विक्रमादित्य की माता सद्धर्मशीला श्रीमती महारानी आयु पूर्ण होने से कितने ही वैद्यों की चिकित्सा कराने पर भी रोग से पीडित होकर स्वर्गधाम चली गई। जैसे कहा है: ___" जिसने सादि ग्रहों को अपनी खाट (चारपाई ) के पाँव में बांध ररने थे, जिसके आगे भयंसे इन्द्रादि दश दिक्पाल तथा देवता दोनों हाथ जोड़कर खड़े रहते थे और जिसकी नगरी लंका समुद्र से परिवेष्टित थी, ऐसे सारे जग के द्वेषी ? 'दशमुख-रावण ने भी आयु क्षय होने पर कुदरत वश पञ्च व-मृत्यु प्राप्त किया।"x x वद्धा येन दिनाधिषप्रभृतयो मञ्चस्य पादे ग्रहाः / सर्वे येन कृताः कृताञ्जलिपुटाः शक्रादिदिक्पालकाः // * लंका यस्य पुरी समुद्रपरिखा सोऽप्यायुषः संक्षये / कष्टं विष्टपकण्टको दशमुखो दैवाद् गतः पञ्चताम् // 185 // 1 जैन मतानुसार वास्तव में रावण के दस मुँह नहीं Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org