________________ विक्रम चरित्र RIPATELLITERATURE / (40 नानुरे इधर विक्रमा, भट्टमात्रा और वह्निवैतालिका गीत एवं बाजा बजा कर अच्छा रङ्ग जमाने लगीं, विक्रमा ने दिव्यनाद मधुर झंकार और विशिष्ट मनोरञ्जक स्वरालंकार आदि पैदा कर अच्छा प्रभाव फैलाया / विक्रमा के गान से सुकोमला की प्रसन्नता तथा रात्रि में बुलाना विक्रमा की अपूर्व मनोहारिता एवं कर्णमधुर गीत (गाने) सुनकर राजपुत्री सुकोमला ने कहा-'अहो सुन्दरि ! अहो तेरी कुशलता / इस प्रकार प्रशंसा करती हुई बोली-" क्या तुम अकेली रात में आकर मुझे गाना-सुना सकती हो?" Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org