________________ बारवाह प्रकरण लग्न विक्रमादित्यका विद्याधरका स्वांग विक्रम राजकुमारी सुकोमला का दिया हुआ रत्न लेकर वापस अपने स्थान पर लोट रहा था। चलते चलते मन में सोचने लगा कि यह रत्न विवाह का सामग्री भूत अर्थात् सगाई का साक्षी है / ऐसा मान कर बड़ी प्रसन्नता से अपने स्थान पर आपहुंचा और कुछ देरतक आराम किया। जिस तरह मयूर मेघमाला-बिजली को देखकर खुश होता है, उसी * तरह मनुष्य भी अपने वांछित कार्य को सिद्ध होते हुए समझकर आनंदित होते हैं / फिर विक्रम ने अपने भट्टमात्र और अग्निवैताल आदि को रात्रिका हाल कह सुनाया तथा सब को अपने साथ वन में चलने को कहा। . वे तीनों व्यक्ति अच्छी तरह भोजन कर के गांव के बाहर उद्यान में अपने अपने घोड़ों पर सवार हो कर शीघ्रता से आये और अग्निवैताल को कहा कि तुम इन पांचों घोड़ों और दोनों वेश्याओं को अवन्ती ले जाओ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org