________________ मुनि निरंजनविजयसंयोजित 141 देवी के चरणकमलों में प्रणाम कर के अपने घर में आकर सो गया। क्योंकि जैसे पूर्ण चन्द्र को देखकर समुद्र बहुत प्रसन्न होता है। ठीक उसी प्रकार देवता, दानव, राजा तथा अन्य मनुष्य भी अपने. कार्य के सिद्ध हो जाने पर बड़े प्रसन्न होते हैं। प्रातःकाल शयन से उठ कर राजा विक्रमादित्य ने अपने मंत्रियों को बुला कर कहा कि-' मेरा जो मनोरथ था वह सिद्ध हो गया है। और मैं अपने शत्रु की स्थिति को आज जान गया हूँ।' पंद्रहवा प्रकरण खप्पर की मृत्यु विक्रम का नगर में घूमना व खप्पर से भेंट तत्पश्चात् हमेशा रात्रि में राजा विक्रम अकेला ही तलवार लेकर तथा विविध रूप बनाकर नगर में घूमता था / एक रात्रि में पुराने वस्त्र धारण कर निर्भय होकर भ्रमण करता हुआ नगर बाहर उसी देवी के मन्दिर में गया और वहाँ चक्रेश्वरी देवी Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org